गुरूर और घमंड आखिर क्यों करूं जब जिंदगी बस एक ख्याल है, आज खुश हूं, पर कल? कल तो बस एक सवाल है, अरे ना मेरा था कुछ, ना कल होगा फिर आज किस बात का इतना मलाल है?
उन्होंने पूछा मेरी खुशी का कारण मैं जवाब में मेरी मुस्कान देती रही, वो जानना चाहते थे मेरी हंसी का राज़ मैं जवाब में मेरी मां का नाम लेती रही,
वो कहते है, क्या है इसमें खास, मां तो होती सबके पास मैंने कहा, जब समाज ने रिवाजों का मुझे आइना दिखाया था, वो मां थी जिसने मेरी बेड़ियां तोड़ मुझे आजाद आसमान में उड़ना सिखाया था।