सांचे हमेशा अच्छे लगते हैं...
हैरां जो नहीं करते
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सूखे बीज से हैं शब्द
बिखरे,
निखरे गमलों में
चाहें बस
भाव की खाद
रूह का पानी
और ... और
इक कलम दीवानी-
Life is nothing but a walk through tough terrains of crazy mountains and ravenous rivers, where Peaks are bound to be followed by deep Valleys and each Ebb would bring a fresh Tide.
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कभी लगता है
अजनबी हो
कभी बहुत अपने से
कभी दूर कभी पास
कभी बिल्कुल सपने से
इश्क़ मुहब्बत जिस्म रूह
न, न, कुछ नहीं मानती
ज़िंदगी तिलिस्म है
या फिर वही वहीं
बिल्कुल वैसी ही
जैसी सोची थी, नहीं जानती
बस पानी की धार में
भावों की पतवार से
जीवन की नाव में डोलती
तुमसे भरसक टकरा जाती हूं
और फिर
कभी लगता है अजनबी हो
पर कभी बहुत अपने से
बन्द आंखों के ख़्वाब नहीं
खुली आंखों के सपने से... अनुपमा सरकार-
दो अक्षर का जोड़
पर कितनी लंबी दौड़
कहे बहुत कुछ
रहे कभी खामोश
लगे अधूरी कहानी
ख्वाहिशों में लिपटी
ख्वाबों की निशानी
है जीने की उम्मीद
या दिल की टीस
अधूरा सा लफ़्ज़
समेटे आह की पीर
वक़्त, मौका, मोड़ भी
ज़िन्दगी की ठौर भी
एहसासों का जोड़ भी
मेरे होते तुम और
मैं होती तुम्हारी
कहने न कहने की होड़ भी
काश! काश! काश!अनुपमा सरकार-
प्रेम में स्त्री लावण्यमयी और पुरुष श्री मय हो जाता है.. अक्सर सुना और महसूस किया.. पर फिर सोचती हूं प्रेम, केवल बाहर ही क्यों ढूंढें.. यदि अपने भीतर के स्त्री और पुरुष के अस्तित्व को सहर्ष स्वीकार लें तो, केवल तन ही नहीं, ईश्वर को व्यथित हो ढूंढता मन, भी सहज ही सौंदर्य परिपूर्ण हो जाए.. अनुपमा सरकार
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It is nature's rule that nothing is perfect or symmetrical. It's up to you whether you take this fact positively considering yourself unique, and marvel in your very own Achievements. Or you take it negatively and keep grumbling about how others are leading superior lives, despite their limited abilities and resources.. Call it luck, fate, destiny, chance. But this is how life works!
(An excerpt from Don't Hate The Don'ts by Anupama Sarkar)
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शब्द तो केवल काया है, भावों में अर्थ समाया है.. दरअसल हर परिभाषा से परे, मौलिक लेखन है ही यही, एहसासों को लफ़्ज़ों में पिरो देना... कैसे तय करें ये सफ़र.. जानिए मेरे वीडियो "लेखन की शुरुआत कैसे करें" में, मेरे शब्द मेरे साथ पर
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