Anupama Babel (Jain)   (Baisaahkm)
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दुनियादारी से दूर सुकून की ओर...
Joined 1 April 2020


दुनियादारी से दूर सुकून की ओर...
Joined 1 April 2020
8 MAR AT 12:28

Other says: एक नारी सब पर भारी....

I realised: एक नारी सब से हारी....

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11 NOV 2022 AT 21:36

ये मजबूरी है साहब,
इंसान को मजबूत बना ही देती हैं।

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3 FEB 2022 AT 15:05

ये सुनसान सी गलियां ये वीरान रास्ता,
चल पड़े हम वहाँ जहाँ नहीं है कोई वास्ता।।

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10 NOV 2021 AT 19:33

उठे जो कभी जनाजा मेरा,
मेरी कुछ किताबे टटोल लेना,
शायद मेरे जाने की वजह मिल जाए...

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8 NOV 2021 AT 11:07

दर्द सुनाऊँ और तारिफें बटोरूँ,
इससे अच्छा..
मुस्कुराऊँ और खामोश हो जाऊँ....।।

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19 SEP 2021 AT 10:48

आसमां से ऊँचा
समुद्र से गहरा
इश्क है मेरा...

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15 FEB 2021 AT 9:53

बेइज्जती भरी इस जगह मे इज्जतदार लोग जा रहे है,
सुना है...
तुम्हारे शहर में मेरे गांव वाले आ रहे हैं।।

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19 JAN 2021 AT 8:16

अप्रतिम सी छवि जिसकी
एक तेज माथे पर धरा था
विकट परिस्थिति में भी जो
मेवाड़ के लिए खड़ा था
लाखों की सेना के सामने
जो शेर बन के लड़ा था
इसलिए शायद "हिंदुआ सूरज"
नाम भी उनका बड़ा था....
।। जय महाराणा जय मेवाड़।।

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8 DEC 2020 AT 20:55

जो दिखाए जा रही थी
ख्वाब थे मेरे आधे अधूरे
जिनको पूरा किए जा रही थी
कोई और नहीं...
"मां" मेरी,
मुझे जीना सीखा रही थी ☺️

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1 DEC 2020 AT 8:10

बड़ी तलब है आज तुझसे मिलने की
जरा अपनी रहमतें हम पर भी तो बरसा।।

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