Anupam Srivastav   (@Anupam Srivastav #अम्बर)
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Joined 4 June 2017


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10 APR AT 19:40

माह ए मुकद्दस की शाम आ गई,
रोजेदारों के चेहरों पर चमक छा गई ।
चांद मुबारक हो आपको हुजूर,
मुस्कुराहटें ले कर चांद रात आ गई।।

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8 APR AT 0:05

Knitting with a black thread of light,
Forming a tapestry of woven night,
A never ending bond pious and pure,
The reflection on the face so Fervent.

The quantum connection, vibing aloud,
Holding the graceful universe trenchant,
A single state, shared being unfolded,
Mystery divine, leaving an embankment .

Two celestials once they've been in touch,
Intertwined fates, moon not so crescent,
Glean of the past spins without fail,
Bartering smitten, is the adulation merchant.

The relm of memories, out of the Zen,
The infinitesimal thoughts, beyond any Kent,
The brownian of vocables, even if whisperd,
Reaches a stage of quantam entanglement

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29 MAR AT 23:53

हम अपनो से इतना लूटे हैं,
के गैरों की बारी नही आई,
तुम भी तो मुस्कुरा रहे हो ये पढ़कर,
या कहोगे तुम्हे अब भी हँसी नहीं आई ?

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20 FEB AT 23:04

लगती है ठिठुरती हुई पिंजर सी जिंदगी,
किसी पूस की रात में बिन अलाव जैसे ।
जो खो दिया है खुद को, तो वापसी के,
इंतज़ार की प्यास में, नहीं रहता अब ।।

कहीं पीछे छोड़ आया हूं उस खुद को मैं,
यादों की उन मिठास में, नहीं रहता अब ।
अगर, मगर, और काश में नहीं रहता अब,
खुद से खुद की तलाश में नही रहता अब ।।

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12 FEB AT 14:57

कुछ अधीर सा हो रहा हूं,
ये उम्र बढ़ रही है अब तो हर पल,
सब कहते है सब्र करो तुम,
मिठास से भरा हुआ है सब्र का फल,
कोई बताओ, हमे समझाओ,
कहो तो ले ये लूं बीमारी मैं कल,
मीठे से तो होता मधुमेह है,
धरूं धीरज, या हृदय से कहूं "तू मचल" ?.

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4 FEB AT 19:46

ये फरवरी का महीना खतरनाक है,
तुम नई मोहब्बत में, मत पड़ना,
ये सारे लोग है, आज - कल के,
करने को तो, कुछ भी कर सकते हैं,

कभी एक बड़ा सा तोहफा देकर,
तो कभी बस एक गुलाब ही सही,
तुम्हें लुभाने के लिए सारा प्रयास,
सारा जतन ये कर सकतें हैं,

तुम वक्त निकाल कर अक्सर,
अपने आईने से बातें करते रहना,
वो तुम्हे बाबू, शोना, बेबी, हनी,
बोलकर गुमराह कर सकते है.

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30 JAN AT 0:54

बड़ी हसरतों के साथ खोला, कल हमने बक्सा एक पुराना,
संजोए हुए थे कुछ लिफाफे, थे बसाए यादों का पूरा घराना.

थोड़ी तस्वीरें, और चंद सिक्के, पीले से पड़ चुके कुछ ख़त भी,
खड़ा है मानो बीता हुआ कल, है मखौल उड़ता, जैसे दीवाना.

खजाने में तस्वीर में दिखी एक, ले साइकिल की चाभी का गुच्छा,
गले में हाथ डाले टशन से खड़े, जलने बनकर शम्मा का परवाना,

बंद किया जो बक्सा, हकीकत सामने खिलखिलाने लगी मुझ पर,
पुराने दोस्त तुम्हारे ? मैने सिर झुका के कहा..शायद बदल गए.!

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26 JAN AT 13:02

परातंत्रता की तोड़ बेड़ियां,
बन गया स्वतंत्र भारत है,
लेकर उपहार कई अनमोल,
बन गया गणतंत्र भारत है,
अनुच्छेद और अनुसूचियाँ,
अपने देश की ताकत हैं,
संशोधित होता संविधान,
विकास की महारत है,
लेकर उपहार कई अनमोल,
बन गया गणतंत्र भारत है,
प्रहरी जैसा खड़ा हिमालय,
प्रेम सिद्धि सब स्वारथ है,
प्रतिवर्ष पुरस्कृत वीरों की,
अनकही गाथा सुनावत है,
लेकर उपहार कई अनमोल,
बन गया गणतंत्र भारत है.

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23 JAN AT 22:14

चलो ना, फिर से एतबार करते हैं,
चलो हम फिर से प्यार करते हैं,
तोड़ने को हसरतें, फिर से अपनी,
चलो, अपने दिल को तैयार करते हैं,
चलो हम फिर से प्यार करते हैं,

जो मंजिलें हासिल कर नहीं पाए,
जो ख्वाहिशें अधूरी सी रह गईं,
पा कर फिर खोने की कोशिश उन्हें,
चलो ना फिर एक बार करते हैं,
चलो हम फिर से प्यार करते हैं,

जो खो गया, वो वक्त अपना नही था,
जो बिखर गया, वो सपना नहीं था,
पूरा करने को हसरतें, इंतजार करते हैं,
चलो ना, फिर एतबार करते हैं,
चलो, हम फिर से प्यार करते हैं...

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17 JAN AT 0:33

कुछ पल उस जगह को, आंखे मूंदे देखते है,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है,
के, जहां कभी वो संग - संग बिताते थे शामें,
चलो उसी जगह मिल कर कुछ बातें करते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.

लाली आसमां की, जो देखा है फैलते अक्सर,
शफ़क़ पर दूर कहीं, दोनो को गले मिलते हुए,
भीनी खुशबू भरी हुई सी है उन्ही फिज़ाओं में,
चलो ज़रा वहां बैठ, डूबते सूरज को तकते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.

सब्जबाग ही सही, मलाल ना हो ताउम्र कभी,
तो चलो साथ मिल कर, हम कुछ वादे करते हैं,
कुछ कहानियां कहते है, कुछ वादों से मुकरते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.

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