कुछ पल उस जगह को, आंखे मूंदे देखते है,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है,
के, जहां कभी वो संग - संग बिताते थे शामें,
चलो उसी जगह मिल कर कुछ बातें करते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.
लाली आसमां की, जो देखा है फैलते अक्सर,
शफ़क़ पर दूर कहीं, दोनो को गले मिलते हुए,
भीनी खुशबू भरी हुई सी है उन्ही फिज़ाओं में,
चलो ज़रा वहां बैठ, डूबते सूरज को तकते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.
सब्जबाग ही सही, मलाल ना हो ताउम्र कभी,
तो चलो साथ मिल कर, हम कुछ वादे करते हैं,
कुछ कहानियां कहते है, कुछ वादों से मुकरते हैं,
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.
चलो उसके शहर में, हम भी थोड़ा ठहरते है.
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