The room hums cold like a broken wire,
Shadows dance but they lack desire,
Your echo lingers sharp and thin,
A phantom trace beneath my skin,
Static whispers Neon bends,
Time collapses It won’t mend,
When you’re not around,
The sky forgets to make a sound,
The clocks all stutter spin & drown,
I’m a glitch in the system,
When you’re not around..-
नदी है भरी एहसास से, मैले से तैरते सारे वादे हैं।
अब मैं भूल जाऊं तो कैसे भूलूं, याद सारी कहानी है।।
वक्त करवट लेता हर पल, बदलता जाता है हर दिन।
अनसुलझी, पोशीदा सी, अनकही ये बात भी पुरानी है।।
खेलता सा बचपन, पेड़ों के झुरमुट में अक्सर।
अटखेलिया करना भी खुशियों की एक निशानी है।।
जो छुप गई कभी इत्तेफाक के हाथों में चुप हो कर।
बड़प्पन की संजीदा बातों से अल्हड़ अनजानी है।।
मेरी कश्ती भी है कागज़ की, हर तरफ तो पानी है।
उस पार जाऊं तो कैसे, ये एक अजब परेशानी है।।
नदी है भरी एहसास से, मैले से तैरते सारे वादे हैं।
अब मैं भूल जाऊं तो कैसे भूलूं, याद सारी कहानी है।।-
घड़ी घड़ी जो शर्मा रहे हो, आंखों के काजल फैला रहे हो,
ढलते सूरज की रोशनी में, ग़ज़ल है क्या जो सुना रहे हो।।
क्यों खामोशी से बहला रहे हो, सपनों में जाल बिछा रहे हो,
सुनो ज़रा दिल की बात मेरी, जो सच है वो क्यों छुपा रहे हो।।
जो प्याला अपना हिला रहे हो, अश्क़ है जो उसमें मिला रहे हो,
चांदनी रातों की तन्हाई में, ख़्वाब क्या कोई जगा रहे हो।।
खुद से भी शायद घबरा रहे हो, आईने से क्यों नजर चुरा रहे हो,
उदास बैठे हो जो हसीन शब में, क्या दिल की बात भुला रहे हो।।
क्यों खामोशी से बहला रहे हो, सपनों में जाल बिछा रहे हो,
सुनो ज़रा दिल की बात मेरी, जो सच है वो क्यों छुपा रहे हो।।-
मेरे हास में परिहास में, मेरी श्वास में, विश्वास में,
मेरे हुलास में संन्यास में, मेरी वाणी की मिठास में,
हर कण में भारत बसता है।
निर्वास में मेरी प्यास में, नयनों के भीतर संत्रास में,
मेरे आवास में देवास में, नन्हें हाथों के प्रयास में,
हर कण में भारत बसता है।
कण कण में भारत बसता है।।-
देखा खुद को दर्पण में जो, दर्पण में कोई शक्ल न थी।
किस से कब क्या कहना है, इतनी हमको अक्ल न थी।।
क्या क्या सपने देखे थे, और क्या क्या ताने - बाने थे ।
आगे होने वाला है क्या, सब इस से अनजाने थे ।।
किससे कहते मन की बातें, मन का कोई मीत नहीं था।
कैसे सुनते किसी की बातें, जीवन में संगीत नहीं था ।।
चांद से रोशन अम्बर चमका, फिर न कहीं अंधेरा होगा।
क्यों है अधीर तू हृदय के भीतर, कल नूतन सवेरा होगा।।
-
सलामत रहे हर चेहरे की मुस्कुराहट।
इसीलिए तू इतना आज संवर के बैठी है।।
जी लेने देती मुझको भी अपने लिए।
ज़रा सी बात पर बिफर के बैठी है।।
हौसला भी बाकी न रहा फिर से खड़े होने का,
मुझसे मुझको ही जुदा कर के बैठी है।।
आरज़ू भी न रही किसी के एहतराम की।
ऐ जिंदगी बता तू ये क्या कर के बैठी है।।
बाकी रही अब जो घड़ियां बहार की,
वो सारी की सारी बिखर कर बैठी है।।
बता ऐ जिंदगी तू ये क्या कर के बैठी है।।
बता ऐ जिंदगी तू ये क्या कर के बैठी है...-
जिसको जो कुछ भी प्राप्त है।
उसके लिए बस वहीं पर्याप्त है।।
मुख पर जो मंद सी मुस्कान है।
वही इस जीवन का वर्तमान है।।
अगर ईर्ष्या द्वेष संताप व्याप्त है।
तो जीवन लीला, वहीं समाप्त है।।-
न बहाता यूं अश्क - ए - बहार मैं,
आइने में जो उसका अक्स देख लेता,
मुस्कुरा देता हूं मैं खुद - ब - खुद,
है मिजाज़ मेरा, जो वो पूछ लेता,
वो नामुराद यार है मेरा,
कमबख्त उदास ही नहीं होने देता.-
बादलों में कुछ न कुछ बन जाता है,
जब भी मैं हवा में अपनी उंगलियां चलता हूं ।
चांद पे भी कई चेहरे दिखते हैं,
बस तुम्हारा ही चेहरा नहीं बना पाता हूं ।।
-
उम्मीद छुपाए बैठी है वो,
अपनी दुआ के हर एक हर्फों में,
नाशुक्रा हूँ मैं, ताउम्र जलता रहा,
दुआ लेकर भी, कहां जाऊंगा ।
खुशी दे जाऊं उसे रहमत दे कर,
वो रूह - ए - पाक़ीज़ा नहीं हूं मैं,
इंसान ही तो हूं मैं, बस मिट्टी का,
बदला लेकर ही सुकून पाऊंगा ।।-