तुम बिन प्रस्तर,तुम संग चंचल
तुम बिन प्रतिदिन आकुल बेकल
तुम बिन कान्हा दुनिया बेरंग है
तुम हो तो दुर्गम नहीं अचल
तुम संग से तुम बिन के मध्य
अंतर बहुत विशाल है
तुम संग जीवन मधुरतम स्मृति
तुम बिन बस मायाजाल है
तुम अंतर्यामी मन की जानो
मैं भ्रमित,पतित, निःशब्द हूॅं
अनभिज्ञ तुम्हारी माया से
मैं सशंकित और स्तब्ध हूॅं
है रूप वही पर भाव कई
तुम संग सब है, तुम बिन निष्फल
तुम बिन कान्हा दुनिया बेरंग है
तुम हो तो दुर्गम नहीं अचल
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" मसला"
ये जो चेहरे पे नूर रहता है, तुम्हारे ही प्यार का है
और ये मायूसी का असर भी,तुमसे तकरार का है
यूँ न संजीदगी से देखो,ऐसे हमारी तरफ
और कुछ नहीं बस,मसला प्यार का है
ये असबाब ये नियामतें ,सब बेफिजूल हैं
तुम्हारे वक्त की दरकार है,मसला ऐतबार का है
और ये घबराहट ये शिकायतें,कुछ बेवजह नहीं
तुम्हें खोने का थोड़ा डर है,मसला इंतजार का है
और इस फिक्र को मेरी ,नाराजगी न समझो
मैं तो यूँ ही मान जाती हूं,मसला बस इसरार का है
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देखते वही हैं सब जो दिखाई देता है,
समझने वालों ने भी अब समझना छोड़ दिया
पहले अधिकार था तो जो मर्जी कह लेते थे,
उसकी नादानियों पर अब मैंने बिगड़ना छोड़ दिया
सिर्फ प्यार आता है मुझको तेरी हर बात के बदले ,
शिकायत क्या करूं मैंने तो लड़ना छोड़ दिया
वो जो कहते थे अक्सर कि बहुत समझते हैं,
उनसे कह दो कि हमने खुद समझना छोड़ दिया
कि जब न रहेंगे तो याद बहुत आयेंगे,
आज से हमने मिलना बिछड़ना छोड़ दिया
बहुत गुरुर था हमको की बहुत साथी हैं हमारे,
बहुत जल्दी ही खुदा ने ये गुरुर हमारा तोड़ दिया
कि अब के गए शायद लौट न पाएंगे,
अजनबी राहों में बार - बार मुड़ना छोड़ दिया
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फिर से शीशे के आगे,
बनना संवरना भूल गई हूं
मैं मुस्कुराती हूं अब भी अक्सर
पर दिल से हंसना भूल गई हूं-
तुझे लिखते रहना भी, फकत है इम्तिहां मेरा
खुद में समेट लेने जैसा, इकलौता सबक हो तुम ......-
उन आँखों में भी प्यार की,
बरसात हो कभी
उनके पहलू में हमारे,
दिन - रात हों कभी
ये ख्वाबों में मिलना,
तो उम्रभर का है
वो रूबरू हों तो,
खुद से मुलाकात हो कभी-
पूरा दिन गुजर जाता है फक़त एक रात के लिए
और उस रात में भी सिर्फ तुमसे बात के लिए
तेरी आमद से ही रौशन है गुलिस्तां मेरा
अब और क्या ही माँगें इस गुल-ए-बाग के लिए-
यूँ ही न तल्खियाँ लाना,कभी अल्फाजों में अपने
कि घाव शब्दों का, खंजर से कम गहरा नहीं रहता
वो रकीब है मेरा फिर भी, मेरे दिल के करीब है
रिश्ता दुश्मनी का भी, कम यहाँ गहरा नहीं रहता
कभी फुर्सत से चले आया करो, ख्वाबों में तुम मेरे
तुम्हारे खातिर ख्वाबों में, कोई पहरा नहीं रहता
अभी तुम साथ हो तो जी लेने दो, ये वक्त भी हमको
कम्बख्त इस वक्त का भी कोई, आसरा नहीं रहता-
मोहब्बत नहीं, तो न सही,अदावत ही सही
रिश्ता बस तुमसे है, हमको तो यही एहसास प्यारा है....-
उनके आने का तसव्वुर ही इतना कमाल का था
नींद से जाग गये हम उनको देख आते हुए ...........-