Khayal
तुम मेरी हो इस बात पर गुरुर करता हूं
हा इश्क़ है तुमसे ये कुबूल करता हूं
आओ न पास बैठो न मेरे साथ ..
बचपन से लेकर जवानी की सारी बाते
मेरी तुमसे मै आज गुफ्तगू करता हूं।
हा इश्क़ है तुमसे ये कुबूल करता हूं ।-
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Not a writer, but sometimes emotions raised inside... read more
Khayal
फिर से धड़कनों की आवाज़ सुनाई दे रही
लगता मेरे परछाई में फिर तू दिखाई दे रही ।
ये शहर जो सजाया हैं हमने अपने दिल में
उसकी मिट्टी आज तेरे पैरों में दिखाई दे रही ।।
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Khayal
हर बार ये किस्मत के पाशे मेरे हाथों की उन लकीरों साथ क्यों नहीं होते
मेरे हर एक रिश्ते पाक तो होते पर फिर भी लोग वफ़ादार क्यों नहीं होते ।।
हर कोई पा सके अपनी एक एक मुकाम ऐसे सबके ईमान क्यों नहीं होते
दुनिया तो खूबसूरत बनाई तूने ऐ खुदा पर खूबसूरत इंसान क्यों नहीं होते ।।
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खुद के ही सपनो का दीवार बन बैठा
एक ही हसरत मेरा गुनहगार बन बैठा ।
वो महफ़िल में आज भी थी मेरे पर
इतना गिर चुका हूं मैं खुदकी निगाह में
की उन्हें खो देने का भी हकदार बन बैठा ।।
खुद के ही सपनो का दीवार बन बैठा
अपनो को खो देने का जिम्मेंदार बन बैठा ।
हर एक मुखौटा फ़रेबी हो चला
ख़याल सारे खुद ही मैं तोड़ बैठा
अब एक झूठी कहानी का किरदार बन बैठा
खुद के ही सपनो का दीवार बन बैठा ।।
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Radhe- Krishna
माखनचोर मुरलीमनोहर न जाने क्या क्या लोग पुकारे
किसी के शखा किसी के प्रेमी तो किसी की दुनिया तुम बनजाते
हे विधाता गोवर्धन तू अपनी तर्जनी से उठता
गोपियों के मन हर कर तू राधा के संग रास रचाता
अपनी मूरत की प्रतिमा से मीरा के तू ह्रदय में बस जाता
कण कण में बसा हैं तू पूरा ब्राम्हण अपने मुख में दिखलाता
सुदामा संग मित्रता की तू एक मिसाल बन जाता
मेरे बाल गोपाल राधे बिन जो ले तेरा नाम वो अधूरा ही कहलाता ।।-
Khayal
मेरी मोहब्बत को कोई नाम ना देना
मेरे मरने का भी उसे कोई पैगाम ना देना ।
हूं गलत मैं तो अब गलत ही सही
मुझे अब कोई आशिक़ का नाम ना देना ।।
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Khayal
हर एक नई कहानी में नया क़िरदार तो नहीं बनाना
अपने ग़म मे झूठी हँसी का हिस्सेदारी तो नहीं बनाना ।
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Khayal
मोहब्बत में हमने खुद को ही नीलाम कर लिया
दूर होकर भी उन्होंने हमें अपने नाम कर लिया ।।
ये आरजू थी मेरी या रब से इबादत थी उनकी
जो अधूरी चाहत में खुदको बदनाम कर लिया ।।-
Khayal
कोई हक़ हो मुझपर तो उन्हें अब ना अदा करो
बहुत थका हूँ मैं मुझे अब तो खुदसे रिहा करो ।
वो आईना भी तो पत्थर की मार से टूट गया
अब तो मुझमे ना तुम हर पल यूहीं दिखा करो ।
की बदनाम हो गए हैं हम अपने ही शहर मे
इस तरह अपनी नजरों से हमको ना देखा करो ।
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