तू अब कुछ नहीं... ?🙄
न जज्बात तू
न अल्फाज तू
न प्यार तू
न इकरार तू
न सुकून तू
न चेहरे की मुस्कान तू
न तुझसे कुछ सुरु न तुझपे कुछ खत्म ।
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कब तक अपनो के लिए मैं अकेला रोऊं
कब तक अपनो के होते हुए मैं अकेला रहु
कब तक मुझे गैर समझने वालो को मैं अपना कहूं
आखिर कब तक
मैं अकेला यूंही चलता राहु
आखीर कब तक
मैं इस गैर दुनिया में अपनो को खोजता रहूं
आखिर कब तक
मैं यूंही जीता रहू
दम नही हाथों में इन गम भरी रातों मे
मरने को बस जी चाहे जब कोई साथ ना हो इन रातों में/जज बातों में !
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एक अंदर एक बाहर
हाय ये जलन
ना जलाए किसी को
कभी देख जले दिल
कभी गुस्से में जलाए खुद को
जले ना जले लेकिन ये जलन जलाए सबको
हाय ये जलन
ना जलाए किसी को-
एक प्यार ऐसा भी है
जो हर दिन
जलते के साथ सुरु
और बुझते ही खत्म होता है!-
कुछ की बातों में दम नहीं होता और कुछ की खामोशियां निशानी छोड़ जाती है
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यहां सबको मिले प्यार
ये जरूरी तो नहीं
हो किस्मत में एकत्यार
ये जरूरी तो नहीं
जो खाते हैं हर वक्त साथ मरने की कसमें
हो साथ जीने को तैयार ये जरूरी तो नहीं-
Kato dikhao ni
Wo jhkm mahram ka v ni km karenge
Khud ko dard hoga ni usee lkin unko takleef jarur hogi
Esliye btao v ni dikhao v ni bs kat te jao-