निषादराज के मित्र हैं राम
सबरी के स्वर्गनिधान है राम
सुग्रीव के भाग्यविधाता हैं राम
हनुमान के प्रभु हैं राम
रावण के काल हैं राम
हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं राम
विश्व इतिहास के सबसे महान राजा हैं राम
पिता के सबसे प्रिय पुत्र हैं राम
भाइयों के सबसे प्रिय भ्राता हैं राम
पुरूषों में पुरूषोत्तम हैं राम
इस कविता के भाव है राम
हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं राम-
मानव चेतना के उत्कर्ष हैं राम
भारत भूमि के मंतव्य हैं राम
प्रेम के परमतत्व हैं राम
जीवन के आधार है राम
मृत्यु के अंत है राम
हम सबके प्रेरणा स्रोत है राम।
मुख के मधुर वाणी हैं राम
चित्त के चिंतन है राम
हृदय के करुणा है राम
मन के मनोभाव हैं राम
युद्ध के विजय हैं राम
हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं राम
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कब तक सोते रहोगे कुम्भकर्ण के तरह ऐ सत्ताधारी?
कभी निर्भया तो कभी मनीषा की जिस्म निचोड़ी जा रही है रोज बारी-बारी।
तुम्हे शर्म नही आती बेटी बचाओ और बेटी पढाओ का नारा देनेवाले ऐ सिंहासनधारी।
अब तो कुछ ऐसा कर्म करो इन विधर्मी राक्षसों को फाँसी पर लटकाने का धर्म करो।
ऐसा कड़ा कानून संसद में निर्माण करो , जो कृष्ण बनकर हर द्रोपदी का लाज बचाने का काम करे ।
#JusticeforManisha-
तुम्हारे चालाकियों को पल भर में समझकर मैं नासमझ बन जाता हूँ।
तमाम चेहरों को पढ़ने का हुनर रखकर भी सीधा-साधा कहलाता हूँ।
गलती ना होने पर भी मैं माफी मांग लेता हूँ।
हाँ मैं पढ़-लिखकर भी अज्ञानी बन जाता हूँ।
ऊँचे सपनो की ख्वाहिश में मैं बेरोजगार कहलाता हूँ।
ऐसा सपना तुम सोच भी नही सकते क्या इसलिए महान बन जाते हो ?
व्यर्थ के विडंडवाद में मैं पड़ना नही चाहता हूँ।
इसलिए निज संकल्पों के लिये मैं अकेले ही चलना चाहता हूँ।
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अषाढ़ में होला जब सावन ,
मनवा के लागे बड़ा मनभावन,
टपर-टपर जब बुनिया बरसे,
बदरिया में कुछु ना लउके।
अमवा के पेड़वा पर अमवा पाके,
खेतवा में धन्वा के बियवा सभे डाले,
देखके ई मौसंवा सबके बड़ा ही नीक लागे,
येही दिनवा में लिखे में हमरो बड़ा मजा आवे।-
उठी जब अलकें
फिर झुकीं न पलकें
देख उसे सुदबुद खो गई।
दर्द हैं गहरा
दिल पर पहरा
जंजीर टूट फिर मीत हो गई।
नियति की चाल
घुमड़ गई यार
पलभर में ही साथ छूट गई।
सपनो का लीला
किया आंखे गिला
दिल फिर तोड़ गई
साथ यार का छोड़ गई।
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महिलाओं के छोटे वस्त्र धारण को नैतिकता और सनातन संस्कृति से जोड़ने वालो को मेरा जवाब
सनातन संस्कृति इतना संकुचित नही है , जो किसी के छोटे-कपड़े पहने से खतरे में आ जाएगा । सनातन संस्कृति बहुत ही व्यापक और अद्भुत है । इसमें इस पृथ्वी के तरह हज़ारो ग्रह समाहित हो जाएंगे , फिर भी कोई फर्क नही पड़ेगा । छोटे वस्त्र धारण करने से ना ही नैतिकता में कमी आती है और ना ही हिन्दू धर्म खत्म होता है। ऐसा कहना असहज मानसिकता का प्रतीक है। और रही बात सनातन संस्कृति की तो उसको बारे में आपको कुछ तथ्य बताता हूँ।
1) खाजुराहो का मंदिर सारे देवी-देवता नग्न स्वरूप में है।
2) अक्का महादेवी दक्षिण भारत की महान संत आजीवन वस्त्र नही पहनी और भगवान भोलेनाथ की महिमा समस्त दक्षिण भारत के लोगो को बताती रही।
3) जैन धर्म के दिगंबर मुनि कभी कोई वस्त्र धारण नही करते है।
ये सब है हमारी संस्कृति है , किसी के कैसे भी वस्त्र धारण से हमे कोई फर्क नही पड़ना चाहिए। क्योंकि हमारी संस्कृति स्वीकारिता सिखाता है , किसी को नकारना नही । हमे अपने सनातन संस्कृति का गहन अध्ययन करने की जरूरत है , उसके अपार संभावनाएं ,वैज्ञानिकता और महानता को पढ़ने की जरूरत हैं। तभी हम अपने बारे में जान पाएंगे , अन्यथा मुगलो की पर्दा-प्रथा को अपनी संस्कृति समझ अपने अपार संभावनाएं को संकुचित करते रहेंगे।-
Pillars of “Aatma Nirbhar Bharat”
1. Economy- quantum jump not incremental change
2. Infrastructure- for modren india
3. System- technology driven for 21st century
4. Demography- vibrant demography as world’s largest democracy
5. Demand- optimise demand and supply chain in the economy
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किसी के ईजाद से अपना मिज़ाज़ ना बदलो जनाब।
खैरियत ईजाद से नही , खैरियत मिज़ाज़ से होती है।-
कितना अदब से आती है,
बेख़बर ही ले जाती है,
ये "मौत" हैं,
कितना दुःख अपनो को दे जाती हैं।
#RIPIrrfanKhan
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