वक़्त एक सा नहीं रहता,
एक इंसान कहीं का नहीं रहता।
खुश्बू आती थी जिसकी मेरे जिस्म से कभी,
अब उसका नाम तक याद नहीं रहता।-
जिस्म से बिछड़ कर साँसें कितना चलती होंगी?
जॉन तेरी साँसें क्या तुझे पढ़ने वालों में बस्ती होंगी?
यानी, अब भी तेरी साँसें चलती होंगी?
मैं सोचता हूँ की अब वो नागिन किसको डसती होगी?
यानी, मेरे मीठे गोश्त के बाद भी वो शिकार पर निकलती होगी?
जानी!एक ख्याल है,
क्या सितारों की आँखों में भी हमारी चमक चमकती होगी?
यानी, उनकी आँखें भी ज़मीन के ख़ाब रखती होंगी?
जो लोग मर-मर कर निकलते है घरों से,
क्या यम की सेना उन पर हँसती होंगी?
यानी, मौत एक हिस्सा है ज़िंदगी का,
यानी, आत्मा जिस्म से अलग हो एक दूसरे सफ़र पर निकलती होंगी?-
Nobody understands the pain of the last drop of water left alone at the bottom of the bottle. Waiting for someone to drink it but it's too less to satisfy someone's thirst. So less that they don't even realise it's existence. Nobody knows that it exists all alone at the bottom.
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तुम्हारा सूरज पहाड़ों के पीछे ढूबता है।
और मेरा कंक्रेट की बिल्डिंग्स के पीछे।
हम दोनो एक कैसे हो सकते हैं।
तुम्हारी और मेरी ज़मीन, हवा, पानी सब अलग है,
यहाँ तक की सोच और सीरत भी।
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Spending money on dope.
There ain't no hope for the future.
Murder on hands.
Stains can't be removed from any soap.
Blood dripping from the heart, insecurities-mistakes-memories opened it's sutures.
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Long, lonely roads
with bright parallel street lights.
Boys running on roads
training to clear their army test.
Two men sitting on the front seats
Abusing the mla they voted for.
and me on the back seat.
Thinking 'what would have happened if I didn't lied?'
Why did I love her so much that I made my own identity a hoax? '
There are two worlds we exist in.
"One, where the flesh is,
and one where the soul. "
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ये दीवारे उम्र के उस पड़ाव पर हैं,
जिस में आकर इनका रंग उतर रहा है।
ये पंखा दिन भर चिलाता है,
पर इसकी आवाज़ कोई सुनता नहीं।
इन कोनो में पड़ी किताबों को
उँगलियों से ज्यादा मकड़ियाँ छूती हैं।
ये दरवाज़ा इतना थक गया है,
जहाँ रोक दो वही थम जाता है।
आईना खुद शर्माता है,
कहीं कोई उसकी झुर्रियों ना देखले।
ट्यूबलाइट किसी विधवा की तरह,
चाहकर भी अपनी ज़िंदगी में रंग नहीं घोल सकती।
चेयरओं की आत्मा शरीर छोड़ जा चुकी है,
छू देने भर कि देरी और कंकाल बिखर जाएगा।
घड़ी अब भी सब देखती है और बताती है,
की वक़्त सबका बदलता है।-
Darakhton ko bahon mein bhar,
Hawayein leti rhi siskiyan raat bhar.
Raat bhar kaan kholkar.
Maine, inke milan ko besharmi se dekha.-
शहर में एक कोने से,
रात हवा को बताती है।
"जा, उस आशिक़ को बोल आ।
बदन को किसी लिबास से,
अभी
तेरी दिलरुबा ने ढका नहीं।"-