नापसंद कुछ है ,
नफरत किसी से नहीं है |-
जहां पर शिक्षा होती है हावी,
वहाँ पर दकियानूसी होती नहीं प्रभावी |-
..........माता-पिता............
हमारी सारी नखरे वो
बिना शिकायत किए उठाते हैं,
हम क्या है ,क्या नहीं जीवन में,
बिना सोचे हुए हमें अपनाते हैं ,
भगवान इंसानों के बीच रह नहीं सकते,
इतनी वो अपनी जगह माता-पिता को बनाते हैं |-
प्यार की धूप ढल गयी,
अगला दिन हमसे नफरत की शाम का रहा,
कभी जो शख्स हमारा था,
उसकी जुबान पर किसी और का नाम रहा |
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किसी अपने का दिल दुखाकर ,
वो भगवान को मना रहे हैं,
कितना नादान हैं इंसान,
यह सोचकर ,भगवान मुस्कुरा रहे हैं|-
पूछने ही वाले थे वो हाल हमारा ,
हमने नजरें घुमा लिया,
एक और झूठी मुलाकात से,
खुद को आहिस्ता बचा लिया|-
... ....दुनिया .......
तुम किसी के लिये इतने भी नहीं खास हो ,
जितना उसके नजर अंदाज करने से उदास हो |-
How you should be from another's point of view,this should never be taken into account,because if there is so much perfection in their point of view,
So how could they find so much imperfection in others?
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हर किसी को ज़िन्दगी में उतनी ही
जगह दो। जितनी वो तुम्हे देता है
वरना या तो तुम खुद रोओगे
या वो तुम्हें रुलाएगा|
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