एक दिल कहता हैं कीं कहने दो मुझको ,
दिल मैं जो हैं ..
पर डरती हूँ इक़रार से कहीं वो इनकार न कर दे,
यूँ ही तबाह अपनी जिंदगी हम यार न कर दे.-
अक्सर लोग हमे झूठा बुला लेते हैं,
माना के हम सच थोड़ा कम ही बोलते हैं,
क्या करे सच को तमिज ही नहीं बात करने की,
झूठ को देखो कितनी मिठी बाते करते हैं,
वो एक झूठ जो हम खुशी खुशी बया़ करना चाहेंगे,
मुहब्बत हैं तुमसे ये ऐतबार करना चाहेंगे,
फितुर हैं ये आशिकी जिसे तुम अपना समज बैठे हो,
हमें पाने की गलत रज़ा कर बैठे हो,
पर इतना तो हम जरूर कहना चाहेंगे के,
खुदा की रेहमत मैं अरजियाँ नहीं चलती,
दिलो कि इस खेल मै खुद-गरजीया नहीं चलती,
अब चल ही पड़े हो इस रास्ते पर आप तो ये जान लिजीए हुजूर ..
इश्क की राह पे मन मर-मरजिया नहीं चलती ।-
सोचती हूँ कभी कागज़ पे उतार लू ,
उनके कहे अल्फ़ाजो को,
याद कर लूँ कभी हम भी साथ हुआ करते थे ...
कभी बातों ही बातों मे लड़ भी जाया करते थे,
बातों के थोड़े कच्चे ,थोड़े पक्के थे..
हम दोस्त बडे़ अच्छे थे..
शिकायत थी ना तुम्हारी के तुम मुहब्बत जताते नहीं,
प्यार हैं तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं?
अरे मुहब्बत की क्या मैं नुमाइश करती,
मेरी आँखों में जितना था क्या वो काफी नहीं था?
सोचती हूँ कभी ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी जो उन्हें हम याद नहीं आते... क्या जितना प्यार हमें आपके लिए था वो काफी नहीं था?-
तालिम नहीं दी जाती,
परिंदो को उड़ानो की
उँचाई से सामना वो
खुद ही सिख लेते हैं,
" मंजिल अभी बहुत दूर हैं "
ऐसे तो हर कोई केहता हैं...
थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर,
मंजिल भी मिलेगी...
रख हौसला वो मंजर भी आएगा,
गम के अँधेरे में, दिल को बेक़रार कर
आज तेरा कोई नहीं पर एक ना एक दिन
वो वक्त भी आएगा.. बस्स थोडा सबर कर मेरे दोस्त..
रख यकिन अपने इरादो पर
हौसला बुलंद हो तो तू आसमान भी छू जाएगा...-
सोच समझकर खर्च किजीये ये अल्फाज़,
हर लफ्ज़ का एक मतलब होता हैं,
और हर एक मतलब़ का फ़र्क पड़ता हैं,
बादशाह तो वक़्त होता हैं,
कौन कैसा हैं ये कोई नहीं जानता,
कौन सच्चा हैं और कौन झूठा कोई पेहचान नहीं सकता,
लोगों को समजना जरा मुश्किल होता हैं...
जिंदगी की सच्चाई तो एक कब्रिस्तान के बाहर लिखी थी,
आजाओ हुजूर आखिरी मंजिल तो आपकी इध़र ही थी,
बस जिंदगी गुज़र गई यहा़ आते आते,
पर लोगों को आखिरी साँस तक समज ना सके यही तो बडी़ बात हुई थी..
अक्सर लोंग मुझे टो़कते हैं, कितनी कड़वी जुबान हैं तेरी,
मग़र उन्हें मैं सिर्फ इतना बताऊ, के जुबान कड़वी सही पर दिल साफ रख़ती हूँ...
दूसरों की कमिया छोड़ीये सह़ाब.. कभी अपने सामने भीं तो आईना रखो,
सोच समझकर खर्च करो ये अल्फ़ाज, जो आज लफ्ज़ हैं
उन्हें कभी कट़ार ना बनाओ ।
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तेरे गुरुर को देखकर 'तेरी तमन्ना ही छोड दि हमने ,
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता हैं तुम्हे हमारी तरह
दिल की उम्मीदो का हौसला तो देखो
इन्तेजार उसका हैं जीसको एहसास तक नहीं ।
इतने जल्द ना सारे राज बताया करो ,
अगर बात लंबी करनी हो तो कुछ राज छिपाया करो ,
मासुम सा दिल लेकर पैदा हूँइ थी मैं
जिंदगी की तजुर्बे ने मुझे पत्थर बना दिया
मेरे एक जिस्म को मुजसे जुदा होतें देखा हैं
रुह आज भी उसकी मेरे साथ सोती हैं
कोई लब और जिस्म चुमे तो आँख बंद कर लेती हैं
मासूम होती हैं लडकिया जो हवस को इश्क समज लेती हैं
झुमकेसे कहो गालों को चूमना छोड दे
वरना इश्क हुआ तो कत्ल भी हजार होंगे ।-
माझ्या मनातलं एक वादळ ,
कधीही न क्षमलेलं , आठवणींच्या त्या विश्वात
नेहमीच स्वतःच अस्तित्व शोधणारं
कधी अगदीच शांत तर कधी फारच उथळ
कधी उगाच रागवलेलं , तर कधी माझ्या माय सारखं प्रेमळ ,
मनातलं वादळ नि: शब्द भावनांचं , कधीही व्यक्त करता न आलेल्या तुझ्या माझ्या अव्यक्त प्रेमाचं !-
ढगांचा गडगडाट विजांचा कडकडाट
गारठलेल्या संध्याकाळी ही चिंब अशी पायवाट ,
प्रत्येकजण स्वतः मध्ये हरवलेला , स्वतःच्या विश्वात
आपली स्वप्न जिवंतपणे जगणारा पण तरीही कुठेतरी गोंधळलेला ..
कुणी ह्या रम्य वातावरणात कोणाची तरी स्वप्न जगतोय ,
तर कोणी धावताना धडपतोय , तर कोणी कोणाला सावरतोय,
आणि कोणी, सखीचा हाथ धरताना मनातल्या मनात बावरतोय 😊
बरसणाऱ्या ह्या मेघामध्ये कोणी शोधतय हरवलेले त्यांचे रम्य क्षण , तर कोणी पावसात पडणाऱ्या पाण्यामध्ये हलकं करतात आपल मन ...
कोणासाठी रम्य असा वाटणारा हा पावसाळा असतो, तर कोणासाठी एक भीषण दृश्य ..
कोणासाठी हिरवेगार गर्द रान
पाऊस , पाऊस म्हणजे एक वेगळीच धुंदी जी हरवून घेई मनाचं भान ... ❤️-
मुझे सच बताओ क्या चाहते हो?
मुझे सिर्फ सच बताओ क्या चाहते हो?
मुझसे मोहब्बत है या सिर्फ अपना वक़्त बिताना चाहते हो?
यूँ तो वह दिखावे बहुत करते है प्यार के
क्या तुम्हें सच में मोहब्बत भी है हमसे
या सिर्फ हमारा दीवाना होने का एक दिखावा करते हो
सच बताओ क्या चाहते हो?
मुझसे मोहब्बत है या सिर्फ अपना वक़्त बिताना चाहते ?
वक़्त तो बिता लोगे तुम मेरे साथ
पर यूँ ऐसा अधूरा ना छोड जाओ हमें
आज मैंने सह लिया
ना जाने कल कोई और ना सह पाए
आपकी ऐसी हरकतों की आदत सी है हमें
जाना चाहते हो...? जाओ
सिर्फ इतना बताके जाओ के हमसे सच में मोहब्बत है या सिर्फ अपना वक़्त बिताना चाहते हो?-
फिरंगी हवा सा चलना है मेरी फितरत में
यूं मेरा खुद में सिमट जाना तो बेबाकी है
तुम मिल गए हों तो बहुत ख़ुब गुज़रेगी ये जिंदगी
कोई दास्तां सुनाओ अभी तो रात बाक़ी है
मेरे अलावा कोई मेरा गैर नहीं यहां
बस इस दिल को ख़ुद की तलाश बाक़ी है।
चलो चूम लो आज खुदके रू़ह को ,
लुटालो जितनी लुटानी हो मोह़ब्बत खु़द पर
आज इस दिल को किसीं और कीं नहीं ख़ुद की तलाश बाक़ी हैं।
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