अनुज ठाकुर  
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Joined 5 March 2019


Joined 5 March 2019
11 OCT 2022 AT 10:47

तुम्हारा मौन कभी पढ़ नहीं पाया मैं
तुम्हारे शब्दों में उलझा सा रह गया

कोशिश करता था वो समझूँ जो तुम कह नहीं पाती
पर जो तुम कह नहीं पाती थी वो बातें मेरी अधूरी लाइनों में ही फँस कर रह गई।

मेरी कहानियाँ वैसे कभी पूरी सुनी नहीं तुमने
तुम्हें मेरी हर कहानी की बस last line ही अच्छी लगती थी

लेकिन सच कहूँ तो दिल की सारी बातें मैं पहली लाइन में कह देता था तुमसे

सारी बातें, सारा इश्क़, सारे सवाल, सारे जज़्बात उन्ही पहले दो लाइन में थे मेरे
पर तुम्हें अक्सर मेरी कहानियों की last line ही अच्छी लगती थी

पता नहीं क्या अच्छा था उनमें

ख़त्म होती मेरी कहानियाँ या बिखरते हुए मेरे ख़्वाब……

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11 OCT 2022 AT 0:11

तुमसे कितनी बातें होती है
जब तुम पास नहीं होती हो

बैठे बैठे बस रात गुजरती
जब तुम पास नहीं होती हो

लिखता रहता बस नाम तुम्हारा
जब तुम पास नहीं होती हो

मैं रहता हूँ तुम में खोया सा
जब तुम पास नहीं होती हो

क्या तुम भी मुझसे बातें करती हो
जब तुम पास नहीं होती हो??

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4 SEP 2022 AT 20:01

जो गए एक बार तुम फिर आए नहीं
ख़ाली कमरों में तुम्हें मैं ढूँढता रह गया

इम्तिहाँ ज़िंदगी में दिए कम नहीं
यार बढ़ते रहे मैं हारता रह गया

कोशिशें कम ना की पर मिले तुम नहीं
जिनको चाहा बहुत उनसे मैं छूटता रह गया

ट्रेन आती रही पर तुम आये नहीं
ख़ाली खिड़कियों को मैं ताकता रह गया

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25 AUG 2022 AT 21:38

वो जो जमीं पे चलते थे शहंशाह हो कर
मिट्टी के हो गये राख हो कर

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24 AUG 2022 AT 23:08

तुम्हें कुछ याद नहीं रहता, तुम भूल जाती हो

बुलाती हो मुझे, खुद फ़ोन करके तुम
मगर तुम खुद नहीं आती, तुम भूल जाती हो

ये ज़ख्मों पे मेरे, जो रो रही हो तुम
तुम्हीं ने ही दिये मुझ पर, तुम भूल जाती हो

दिन कई गुजरे, तुम्हारा ख़त नहीं आया
कोई बैठा है रातों तक, तुम भूल जाती हो

चलो मिलते हैं कल, कह कर किया था अलविदा मुझको
तुम्हारा कल नहीं आया, तुम भूल जाती हो



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13 JUN 2022 AT 23:16

लौट जाता है चाँद मुँडेर तक आ कर
छतों पे अब बच्चे खेला नहीं करते

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13 JUN 2022 AT 16:19

चंद किताबें, एक डायरी और तुम्हारे ख़त
यही है जो मैंने बिस्तर पे बिछा रखा है

और क्या है मेरे पास तेरी तस्वीर के सिवा
तेरी एक तस्वीर से घर मैंने सजा रखा है

तेरे जाने के बाद कुछ रहा नहीं कमरे में मेरे
बस एक बल्ब ज़ीरो वॉट वाला जला रखा है

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3 JUN 2022 AT 16:22

अब थोड़ा अकेले रह कर देखते हैं
अब जी भर गया है खुद के साथ

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19 MAR 2022 AT 22:13

तुम्हारी ये ज़िद मुझे पाने की
मेरा ये डर तुम्हें खोने का….

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16 MAR 2022 AT 22:59

जो तुम तक मेरी आवाज़ पहुँचती
तो जान पाते तुम,
एक बहती हुई सी नदी है ये ज़िंदगी मेरी
मेरी ज़िंदगी का इक किनारा हो तुम

जो तुम तक मेरी आवाज़ पहुँचती
तो जान पाते तुम,
अमावस के अंधेरे सी है ये ज़िंदगी मेरी
मेरी अमावस रात का चाँद हो तुम

किनारे कहाँ मिल पाते हैं
चाँद कहाँ उतर पाता है जमीं पे…

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