उनको क्या बतलाएं हम।
आंसू आंख में छुपाएं हम।
एक ज़ख्म का दर्द मिटाने।
दूजा ज़ख्म बनाएं हम।
हर पल उनको याद करके।
बस दिल को तड़पायें हम।
हॉस्टल की छत पर जाकर।
सिगरेट को सुलगाएं हम।
उसने कहा भूल जाओ मुझे।
कैसे उसको भुलाएं हम।
उनको क्या बतलाए हम।
आंसू आंख में छुपाएं हम।-
अपनी भी एक माशुका हुआ करती थी
मत पूछो क्या खूब हुआ करती थी ।
शहर में उसके चर्चे हुआ करते थे।
पर्स में उसकी तस्वीर हुआ करती थी।
चलती थी तो ऐसे जैसे पत्तों पर ओस की बूंद।
रुकती थी तो गली ख़ामोश हुआ करती थी।-
मोहब्बत कोई बीमारी लगती है।
तुम्हारी हर चीज़ प्यारी लगती है।
तुम केमिस्ट्री की तरह हो।
तुम्हे समझने में तैयारी लगती है।-
कितना प्यार मिला है हमको।
ख़ुद सा यार मिला है हमको।
जिसको भी अपना माना हमने।
धोका यार मिला है हमको।
मिलने वालों को मिल गयी मंज़िल।
रस्ता यार मिला है हमको।-
कोई काम मुश्किल नही लगता।
ये ओर बात है कि दिल नही लगता।
उसकी चौखट पे खड़े हैं आशिक़ कई।
मगर किसी का भी नम्बर नही लगता।
वो जो देख ले अगर नज़र भर के।
रात तो रात है दिन-दिन नही लगता।
उसके तुक्के भी लग जाते है निशाने पे।
अपना कोई तीर निशाने पे नही लगता।
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हाल-ए-दिल किसी से कह नही सकता।
बहुत नम आँखों में तालुकात रह नही सकता।-
ख़ुद से सवाल करते रहे।
तेरा ख़्याल करते रहे।
हमारी मोहब्बत काग़ज़ी रह गयी।
तेरे चर्चे कमाल करते रहे।-
अब इतना भी किसी को सताया न जाये।
सर्द रातों में छत पर जाया न जाये ।
इश्क़ करने के भी अदब हुआ करते हैं।
यु ही किसी से भी दिल लगाया न जाये।
उसका नूर ही उसकी तासीर बयां करता है।
उसे सवालातों में उलझाया न जाये।
मेरे लहजे ने मुझे तन्हा कर दिया ।
मेरे लहजे को अपनाया न जाये।
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मैं तो तुझे समझता रहा दिल के क़रीब।
मग़र आख़िर में तो सिर्फ़ तन्हाई होती है।-