व्यक्ति और वयक्तित्व के किस समनजस्य को स्वीकार्यता है ये यक्ष सा प्रश्न है जो एक समाज को ग्राहय है वही दूसरे समाज को स्वीकार्य नहीं है कौन से मानक सभ्यता की श्रेणी में आते हैं और कौन से नहीं, ये विचारणीय विषय है l
बदलाव कितने नैसर्गिक व स्वाभाविक होते हैँ उम्र के उत्तरोत्तर बदलाव हम देखते हैँ स्वाभाविक स्वीकार भी करते हैँ ......
परन्तु....
अपनी संस्कृति को स्वीकार करना, अंगीकार कर बदलाव लाना कठिन लगता है l कठिन है अलग से हटकर कुछ सोचना कुछ नया स्थापित करना क्योंकि बदलाव समय चाहता है llllllllll