Anuj Srivastava  
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Joined 22 July 2020


Joined 22 July 2020
17 JAN 2021 AT 18:18

व्यक्ति और वयक्तित्व के किस समनजस्य को स्वीकार्यता है ये यक्ष सा प्रश्न है
जो एक समाज को ग्राहय है वही दूसरे समाज को स्वीकार्य नहीं है
कौन से मानक सभ्यता की श्रेणी में आते हैं और कौन से नहीं,
ये विचारणीय विषय है l

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26 OCT 2020 AT 9:48

बदलाव

बदलाव कितने नैसर्गिक व स्वाभाविक होते हैँ
उम्र के उत्तरोत्तर बदलाव हम देखते हैँ स्वाभाविक स्वीकार भी करते हैँ
......

परन्तु....

अपनी संस्कृति को स्वीकार करना, अंगीकार कर बदलाव लाना कठिन लगता है l
कठिन है अलग से हटकर कुछ सोचना कुछ नया स्थापित करना
क्योंकि बदलाव समय चाहता है llllllllll

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23 OCT 2020 AT 19:42

सब कुछ अघटित है
अनजान अनजाना
जो घटित है वो बोध नहीं है l
एहसास की क्या पराकाष्ठा हो
घटित होने का एहसास तो हो



जीवन कुछ ऐसा ही है l

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18 AUG 2020 AT 10:37

तम्मनाएँ, आकांक्षएं, अभिलाषाएं......... ये सब जिजीविषा की उत्कंठा में उत्प्रेरक की भूमिका का निर्वहन करती हैँ l

हे मानव इससे इतर जीवन दया, करुणा पर सम्मोहित हो l

समस्त विश्व को इसकी..... जरूरत है l

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