मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना …
बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना...— % &-
✍✍I M open Mind✍✍
वंश - सूर्यवंशी क्षत्रिय
गोत्र - ... read more
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल..!!— % &-
चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ
सफ़र अधूरा रहा, आसमान ख़त्म हुआ— % &-
जो हमारे हालात है एक दिन सुधर जायेंगे,
तब तक कई लोग दिल से उतर जायेंगें...-
कर लेता हूँ बर्दास्त अपने हर दर्द को,
वही दर्द जीने की बजह बन गया...-
माना कि जिंदगी के चार दिन वाकी है,
लेकिन जीने के चार दिन काफी हैं...-
विश्वास से बङा कोई रिश्ता नही होता,
जीवन कै लक्ष्य कुछ ही लोगों को नसीब होता,
हमारे दर्द का, और फर्ज का हिसाब कुछ निराला है,
देते है सबको सम्मान ए अशूल पुराना है,
गलत फहमिया इन्सान को हिला देती है,
कमियां और खामिया भला इन्सान से क्या गिला करती हैं,
मेरी मायूसी समझो या मजबूरी यह सब समय का चक्र है,
ईर्ष्या अभिलाषाओं में भला किलको फिक्र है...-
ऐ शहर काफिरों का है जनाव,
यहां हर शख्स कातिल है......-
इश्क दी अधूरी मशहूर कहानी हो गई,
बर्बाद मेरी ये जवानी हो गई,
सुर्खियों में आये थे मोहब्बत के दीवाने वनकर,
कातिलाना निगाहें ले गईं सुकुन मेरा,
मोहब्बत हमारी बेजुवानी हो गई,-
हमें अपनी आशिकी की दास्तां पर गुरुर होना चाहिए,
दहला दे कयामत का मंजर, इतना तो मशहूर होना चाहिए...-