Anuj Pratap Sin Suriyavanshi   (अनुज प्रताप सिह सूर्यवशी)
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Joined 22 May 2019


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30 JAN 2022 AT 19:07

मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना …
बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना...— % &

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30 JAN 2022 AT 19:04

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल..!!— % &

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30 JAN 2022 AT 18:47

चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ
सफ़र अधूरा रहा, आसमान ख़त्म हुआ— % &

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14 AUG 2021 AT 17:57

जो हमारे हालात है एक दिन सुधर जायेंगे,
तब तक कई लोग दिल से उतर जायेंगें...

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20 JUL 2021 AT 10:39

कर लेता हूँ बर्दास्त अपने हर दर्द को,
वही दर्द जीने की बजह बन गया...

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24 MAY 2021 AT 12:04

माना कि जिंदगी के चार दिन वाकी है,
लेकिन जीने के चार दिन काफी हैं...

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2 MAR 2021 AT 15:58

विश्वास से बङा कोई रिश्ता नही होता,
जीवन कै लक्ष्य कुछ ही लोगों को नसीब होता,
हमारे दर्द का, और फर्ज का हिसाब कुछ निराला है,
देते है सबको सम्मान ए अशूल पुराना है,
गलत फहमिया इन्सान को हिला देती है,
कमियां और खामिया भला इन्सान से क्या गिला करती हैं,
मेरी मायूसी समझो या मजबूरी यह सब समय का चक्र है,
ईर्ष्या अभिलाषाओं में भला किलको फिक्र है...

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2 MAR 2021 AT 14:20

ऐ शहर काफिरों का है जनाव,
यहां हर शख्स कातिल है......

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21 FEB 2021 AT 22:55

इश्क दी अधूरी मशहूर कहानी हो गई,
बर्बाद मेरी ये जवानी हो गई,
सुर्खियों में आये थे मोहब्बत के दीवाने वनकर,
कातिलाना निगाहें ले गईं सुकुन मेरा,
मोहब्बत हमारी बेजुवानी हो गई,

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20 FEB 2021 AT 8:46

हमें अपनी आशिकी की दास्तां पर गुरुर होना चाहिए,
दहला दे कयामत का मंजर, इतना तो मशहूर होना चाहिए...

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