ख्याल है की सीखनी ही पड़ेगी, चालाकियां जमाने की,
सब कुछ करना पड़ता है, क्योंकि आदत नही बहाने की,
सब जान के भी अंजान सा हो जाता हूं हर दफा,
लगता है मुझे लत सी लग गई है ठोकर खाने की....
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एक ख्याल मेरे जहन को अक्सर टटोलता है,
क्या कोई ऐसा भी है,
जो अपनी गलती को अपनी गलती बोलता है.?
बहुत गुमा में जी रहा है, हर शक्श यहां,
क्या कोई ऐसा भी है,
जो खुदके शब्दों को औरों के तराजू में तोलता है.?-
चलने का जज्बा रखो, मंजिल कहां भाग पाती हैं,
महज करने का जिम्मा लो, राहें खुद बन जाती है,
असतता और आलस को, उखाड़ फेकना होगा,
बहुत छुप लिए गुमनामी में, अब आगे बढ़ना होगा,
धरकर-कर, पग-पग पथ पर, आगे बढ़ना होगा,
बिखरे बहुत सहज-सरल की आपाधापी में,
समेट खुदको उलझलो से हरपल भिड़ना होगा,
भिड़कर उलझनों से खुद तुम्हे सुलझना होगा,
रोशनी झांकती हैं दरच्चो से,दरवाजे खोलना होगा,
वक्त निरंतर बदलता है, इसके सांचे में ढलना होगा,
एक से हो मुद्दत से, अब तुम्हे बदलना होगा,
छोड़ कर आड़ किवाड़ की, अब तुम्हे चलना होगा...-
"Don't rely on external validation for
APPRECIATION;
Learn to appreciate yourself
and persist in your
exceptional endeavors."-
जिंदगी के कुछ फैसले ऐसे भी लेने पड़ते हैं,
जो शायद आपके लिए सही ना हो,
किंतु बहुत से लोगों का सही कर जाए ।-
शहर की चकाचौंध से
सब चमका है इस कदर,
की देखे कोई हकीकत,
इतनी फुर्सत नही रही।-
शौकीन था चुनौतियों का,
तूफानों में चला जा रहा था,
मुश्किलों से संभल रहा था,
परिस्थितियों को बहला रहा था,
दौर की कथनी अलग थी,
कहा कथित वो
बदला जा रहा था,
चला जा रहा था
वो चला जा रहा था,
मनमुटावों से दूर...चला जा रहा था,
शिकवा से दूर.... चला जा रहा था,
हालातों से मजबूर.... मुस्कुरा रहा था,
चला जा रहा था... चला जा रहा था।-