Anuj J Pandey   (AnujJPandey)
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प्रसन्नता का सरल नियम न अपेक्षा, न उपेक्षा !
Joined 11 December 2019


प्रसन्नता का सरल नियम न अपेक्षा, न उपेक्षा !
Joined 11 December 2019
30 JUN 2023 AT 22:49

ख्याल है की सीखनी ही पड़ेगी, चालाकियां जमाने की,
सब कुछ करना पड़ता है, क्योंकि आदत नही बहाने की,
सब जान के भी अंजान सा हो जाता हूं हर दफा,
लगता है मुझे लत सी लग गई है ठोकर खाने की....

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14 JUN 2023 AT 21:48

एक ख्याल मेरे जहन को अक्सर टटोलता है,
क्या कोई ऐसा भी है,
जो अपनी गलती को अपनी गलती बोलता है.?
बहुत गुमा में जी रहा है, हर शक्श यहां,
क्या कोई ऐसा भी है,
जो खुदके शब्दों को औरों के तराजू में तोलता है.?

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13 JUN 2023 AT 23:12

तहा उम्र लगा दी
ये समझने में,
की समझना नही
जीना है ज़िंदगी.....

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11 JUN 2023 AT 14:24



चलने का जज्बा रखो, मंजिल कहां भाग पाती हैं,
महज करने का जिम्मा लो, राहें खुद बन जाती है,
असतता और आलस को, उखाड़ फेकना होगा,
बहुत छुप लिए गुमनामी में, अब आगे बढ़ना होगा,
धरकर-कर, पग-पग पथ पर, आगे बढ़ना होगा,
बिखरे बहुत सहज-सरल की आपाधापी में,
समेट खुदको उलझलो से हरपल भिड़ना होगा,
भिड़कर उलझनों से खुद तुम्हे सुलझना होगा,
रोशनी झांकती हैं दरच्चो से,दरवाजे खोलना होगा,
वक्त निरंतर बदलता है, इसके सांचे में ढलना होगा,
एक से हो मुद्दत से, अब तुम्हे बदलना होगा,
छोड़ कर आड़ किवाड़ की, अब तुम्हे चलना होगा...

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31 MAY 2023 AT 23:16

"Don't rely on external validation for
APPRECIATION;
Learn to appreciate yourself
and persist in your
exceptional endeavors."

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17 FEB 2023 AT 0:38

जिंदगी के कुछ फैसले ऐसे भी लेने पड़ते हैं,
जो शायद आपके लिए सही ना हो,
किंतु बहुत से लोगों का सही कर जाए ।

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15 FEB 2023 AT 22:44

शहर की चकाचौंध से
सब चमका है इस कदर,
की देखे कोई हकीकत,
इतनी फुर्सत नही रही।

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12 FEB 2023 AT 0:02

ठहराव की कमी से
भ्रम की उत्पत्ति होती है।

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21 JAN 2023 AT 18:33

समझ का फेर
और
समय की देर
दोनो ही परिस्थिति
विपरीत कर देते हैं।

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18 JAN 2023 AT 1:40

शौकीन था चुनौतियों का,
तूफानों में चला जा रहा था,
मुश्किलों से संभल रहा था,
परिस्थितियों को बहला रहा था,
दौर की कथनी अलग थी,
कहा कथित वो
बदला जा रहा था,
चला जा रहा था
वो चला जा रहा था,
मनमुटावों से दूर...चला जा रहा था,
शिकवा से दूर.... चला जा रहा था,
हालातों से मजबूर.... मुस्कुरा रहा था,
चला जा रहा था... चला जा रहा था।

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