Anuj Gupta   (AJ)
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If a writer falls in love with you,
you can never die.❣️
Joined 4 October 2018


If a writer falls in love with you,
you can never die.❣️
Joined 4 October 2018
6 JUL 2020 AT 10:59

"Love"
आसमान में घिरे घने बादल सा मैं
तुम चलती कोई ठण्डी हवा सी हो
मैं बह जाऊं तुझ संग
या ठहर बरस जाऊं यही कहीं!!

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13 APR 2019 AT 15:26

When you called me
After a long time
I'm not surprised any more,
The call between us.
"she had a lot to say..."
But that "The Silence" told me everything.

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22 JUN 2020 AT 0:11

//Happy Father's Day//
रंगमंच पर कलाकारों को अलग अलग किरदार करते देख
आज ये एहसास हुआ कि असल जिंदगी में मेरे "पिता" एक ऐसे किरदार में है जिन्होंने अपनी कलाकारी कभी नहीं छोड़ी||
"एक किरदार में अनेकों पात्र लिए है वो..."

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21 JUN 2020 AT 23:37

"बाबा की कमीज और माँ के श्रृंगार"
बाबा की कमीज और माँ के श्रृंगार दो अलग ऐसी चीज़े
जो बीते कुछ सालों में वक़्त के साथ पुरानी और फीकी पड़ गई!!
[FULL PEACE IN CAPTION]

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18 JUN 2020 AT 12:18

"उसके और मेरे सपने"
मैं चला था समंदर को कुए में कैद करने
भला मैं कैसे भूल गया,
कि आकाश को समेटना बिल्कुल वैसा ही है
जैसे अनन्त अंतरिक्ष में तारों को गिनना...

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14 JUN 2020 AT 20:53

"F A K E  P E O P L E"
जो लोग अभी ये ट्रेंड फैलाए है ना
कि हम से बातें कीजिए कोई भी परेशानी हो तो,
किसी की जिंदगी में क्या चल रहा है हम नहीं जानते
ग़र वो बात करना चाहता है तो बेझिझक करे...
I'm always there.
[FULL PEACE IN CAPTION]

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11 JUN 2020 AT 18:23

"The Last Semester"
मैं तुम्हें बदलना नहीं चाहता था
मैं खुद को बदलना नहीं चाहता था
ग़र मैं तुम्हें सच बता देता तो हम दोनों बदल जाते
बाकी सारे Couples की तरह Possessive हो जाते, लड़ते-झगड़ते रूठते-मनाते बस एक दूसरे को Perfect साबित करने की कोशिश करते||

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31 MAY 2020 AT 21:15

"T. I. M. E"
मुझे मिला एक "कल"
जिसकी तलाश में मैं "आज" था

पूछ बैठा उसे
तू कहां और किस हाल में था

मैं अतीत हूँ तेरा
तेरे साथ कल भी था तेरे साथ आज भी हूँ
मैं तेरा भूत तेरा वर्तमान तेरा भविष्य भी हूँ

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31 MAY 2020 AT 1:06

"प्रेम कठिन है, प्रेम सरल है"
प्रेम सरल हो सकता है
पर निभाना अत्यंत कठिन!!

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25 MAY 2020 AT 21:55

"ईद मुबारक"
मुझे लिखना है हिन्दू मुस्लिम
एक ही किताब के, एक ही पन्ने में
एक ही कलम की, एक ही सियाही से
और उन्हें बंद कर देना चाहता हूँ हूँ कई सालों के लिए
मैं देखना चाहता हूँ कि क्या वो पन्ने धुंधले तो नहीं पड़ जायेंगे, वो सियाही कहीं मिट तो नहीं जायेंगी, और कहीं वो रंग बेरंग तो नहीं पड़ जायेगा| मैं ये सब देखना चाहता हूँ,
मैं ये भी देखना चाहता हूँ
कि धर्म के नाम पे एक दूसरे को बांटने वाले वे लोग आखिरी वो किस धर्म से किस मज़हब से है|
मैं लिखना चाहता हूँ एक संदेश,
प्रेम का, प्रतीक का, मानवता का, मित्रता का, और एक ऐसा जिसका ना कोई धर्म हो ना कोई जाती हो और ना ही कोई पहचान पत्र हो|
मैं मिटाना चाहता हूँ दो मज़हबों के बीच की लकीरें,
और मिलाना चाहता हूँ लकीरों में बटे लोगों को,
मैं चाहता हूँ बगैर मज़हब की एक दुनिया...

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