मैं तो बस यूँ ही,
उस नदी के किनारे उसके साथ साथ चलने लगा था...
प्रकृति के इन खूबसूरत रंगो को उसकी नजरों से देखने लगा था...
उसके बहते पानी को संगीत की तरह सुनने लगा था...
उसकी गोद में अटखेलियां करती मछलियों संग मैं भी खेलने लगा था...
जैसे जैसे नदी संग में आगे बढ़ने लगा था,
प्रकृति को और करीब से मैं समझने लगा था....
वो तो बिना रुके अपने मार्ग पर आगे बढ़ रही थी,
पर मैं थक कर थोड़ा उसके किनारे बैठने लगा था....
मेरे सामने की खूबसूरत वादियां,
मानो उस बहती सरिता का उत्साहवर्धन रही थी....
मेरी और देख कर मुझे बता रही थी कि,
एक तू है जो अपने स्वार्थ के लिए थक कर बैठ गया हे,
और
एक वो दूसरों के स्वार्थ को पूरा करने बिना थके निरंतर चल रही है....
मुझे समझ आने लगा था,
जिसकी खूबसूरती के लिए में उसके साथ चलने लगा था,
उसकी खूबसूरती को आज मैं ही अपने स्वार्थ के लिए नष्ट भी करने लगा था.....
मैं तो बस यूँ ही,
उस नदी के किनारे उसके साथ साथ चलने लगा था !!!!
"please respect nature & it's beauty"
Anuj Gupta
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Anuj Gupta
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Joined 11 November 2019
15 JUN 2020 AT 9:44
19 AUG 2021 AT 22:01
आज भी साथ में बेहद ख़ूबसूरत दिखते हैं,
मैं और मेरे साथ झील किनारे बैठी तुम्हारी यादें।
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16 AUG 2021 AT 2:38
मेरे इश्क़ का तुझे इल्म न रहा,
मैं काफ़िर तो नहीं हूं,
मेरे इश्क़ ने मुझे रुसवा कर दिया।-
3 AUG 2021 AT 22:30
एक कदम तो मेरी ओर बढ़ा "ज़िंदगी",
"ज़िंदगी" भर तेरे साथ न चलूं तो कहना।
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4 JUL 2021 AT 21:39
किरदारों के मायने बदल रहे हैं,
जमाने की दीवारें ऊंची होती जा रही हैं।
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30 JUN 2021 AT 22:20
मेरी बातों का नशा शायद सुबह तक उतर जाता हे,
तुम होश में आते ही बदल जाती हो।
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23 JUN 2021 AT 22:44
मोहब्बत हो गई थी शायद उसे मेरे शहर से और मुझे उससे,
इसलिए शायद आज भी वो मेरे शहर को याद करती हे और मैं उसे याद करता हूं।
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