सुना है नफ़रत की दुकान खोल रहे हो !
थोड़ी मोहब्बत भी रख लेना दिखावे के लिए !!-
जज़्बात लिखता हूँ ,
लेखक हूँ साहब !
कलम से हर बात लिखता हूँ ।
पलकें झुकें , और नमन हो जाए ।
मस्तक झुकें , और वंदन हो जाए ।
बताओ ऐसी नज़र कहाँ से लाऊँ ? मेरे कन्हैया !
कि आपको याद करूँ ,
और आपके दर्शन हो जाए ।।
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मेरा हक़ नहीं तुम पर ये जानता हूँ मैं ,
मगर फिर भी न जाने क्यों दुआओं में तुझ को माँगना अच्छा लगता है ।।-
शब्दों को होंठों पर रखकर ,
दिल के भेद न खोलो !
मैं आँखों से सुन सकता हूँ !
तुम आँखों से बोलो !!
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आँखों के पानी का गिरना सावन का मोहताज नहीं।
यह दुख में भी हो सकता है !
खुशी में भी !!-
खत लिख रहे हो ,
वो भी वफादारों के पते पर ।
अरे डाकिये की उम्र बीत जाएगी !
शहर ढूंढते ढूंढते ।।-
हमारे पास तो सिर्फ तुम्हारी यादें हैं ।
ज़िन्दगी उन्हें मुबारक हो ! जिनके पास 'तुम' हो ।-
चार आँसू ही गम-ए-ज़िन्दगी के मोती है ,
चन्द साँसे जिन्हें लुटाती फिर संजोती है ।-
पोंछ कर आँसू , नज़र तो डालिये हम पर ।
यूँ कब तक रोते रहेंगे एक ही गम पर !-