Anubhav Singh Rajput   (@writes_to_express)
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Pen in trembling hands
Joined 18 March 2017


Pen in trembling hands
Joined 18 March 2017
15 APR AT 19:39

आशिक़ बहुत से होगे तुम्हारे,
मगर कौन किसका है,
जरा संभल के,
मुकम्मल हर इश्क़ होता नहीं,
क्योंकि कोई रूह का है कोई जिस का है,
जरा संभल के।

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10 APR AT 19:04

उससे मोहब्बत से उसकी मोहब्बत तक का सफ़र बहुत खूबसूरत है,
मगर उसकी मोहब्बत से भी खूबसूरत है उसका हमसफ़र हो जाना।

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1 JUL 2019 AT 0:31

वो गिरता गया चांद आसमां से जो यूं,
मेरी नींद खुलती गई और वो सपना भी टूटने लगा,
वो गिरता गया सूरज आसमां से जो यूं,
मानो बातें रुक सी गई और वो साथ भी छूटने लगा।

रोज़ एक डर से लगता था मुझको जो यूं कल तक,
आज लगा कि मानो दिल टूट भी गया तो क्या होगा,
रोज़ जो खुश भी हो जाता था मैं कल तक,
आज वो मैं फिर से रो भी गया तो क्या होगा।

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10 SEP 2018 AT 13:53

साथ देंगे तो मरते दम तक,
नहीं तो ना दिखेंगे शुरुआत से अंत तक...

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25 SEP 2019 AT 22:20

कागज फाड़ देता हूं रोज मैं,
कि किताब क्या लिखूंगा।

नाराज़गी मार देता हूं रोज मैं,
कि हिसाब क्या लिखूंगा।

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8 AUG 2019 AT 16:41

Hold those tears before they fall down,
Yes, not everyone deserves to cry,
If love makes you everyday drown & drown,
It's not love it's again just a try.

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25 JUL 2019 AT 18:39

कोई दिल तोड़ जाता है और
वो इक वादा तक नहीं तोड़ता,

कोई चलते भर में छोड़ जाता है और
वो तेरा छुड़ाया हाथ तक नहीं छोड़ता,

उसके अलावा उसे किसी का
ख्याल नहीं आता था कभी,

कोई रास्ता मोड़ जाता है और
वो अब भी तेरा लिखा खत तक नहीं मोड़ता।

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9 JUL 2019 AT 23:25

दूर नहीं थे आप मगर मुझसे कटा ना एक भी पहर,
मैंने कहा वक्त को भी कि बस तू मत हां ठहर,
तू जो ठहरेगा नहीं तो थोड़ा वक्त कम लगेगा मिलने में हमको,
अलग है ना जाने क्यों, एक तेरा शहर, एक मेरा शहर।

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8 JUL 2019 AT 0:57

क्या ही रखा है इस मतलब के जमाने में,
बहुत वक्त लगा दो चार दोस्त कमाने में,
अब जब मुड़ के देखा मैंने फिर से चारों तरफ,
लोग वक्त बिता रहे है एक दूसरे को अजमाने में।

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1 JUL 2019 AT 21:17

चांद तारे तोड़ लाने के वादे तो सुने होगे ना?
सुनो फिर ये भी कि कोई पूरे नहीं करता।

जान दे दूंगा जो तुम छोड़ गयी सुना होगा ना?
सुनो फिर ये भी कि कोई ये भी नहीं करता।

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