Anubhav Mishra   (©️Anubhav_Mishra✍️❣️)
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Joined 24 February 2018


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Joined 24 February 2018
18 APR AT 19:43

जख्मों को जल्द ही भूल जाता हूँ
अपने हाथों में कोई किताब नही रखता
अच्छे लम्हें भूल जाता हूँ साहब
मैं खुशियों का अपने हिसाब नहीं रखता

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18 APR AT 19:33

कभी आओ एक गुलाब लेकर
हाथों में अपने किताब लेकर
कुछ सवाल, कुछ जवाब,
कुछ ख्याल साथ लेकर
न इतना किया तुम गिला करो
प्यार से "तुम" मिला करो

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22 APR 2023 AT 22:18

हैं पूंछते ये, गाँववाले कौन, कैसे, क्या कमाते
भेज चिठ्ठी गाँव एवं घर की सब ख़बरें मँगाते
अर्से से ये वीर जिनको देखना बस चाहते थे
अब उन्ही से भेंट करने के लिए घर आ रहे हैं
आज वे वाँके लड़ाके लौट घर को आ रहे हैं
आज भारत माँ के बेटे लौट घर को आ रहे हैं.

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7 APR 2023 AT 14:03

घूम-फिर सकते यदि
तो गिरवी रखे जाने से पहले
किसी पुल या पहाड़ी से
लगा लेते छलाँग
बुदबुदाते हैं सुलगते रहते घर-आँगन-द्वार
🌻❤

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7 APR 2023 AT 14:00

बोल-बतला सकते यदि
तो अलमारी में रखे जाने पर भी
मचाकर शोर शिक्षित करते समाज को
बतियाते हैं पुस्तकालय में रखे
महान ग्रंथ और किताबें
🌻❤

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7 APR 2023 AT 13:43

हिल-डुल सकते यदि
तो गिरवी रहने पर भी
चमकते-दमकते खनक कर उठाते आवाज़
बतियाते हैं कंगन आदि जेवरात🌻

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7 APR 2023 AT 13:35

चल-फिर सकते यदि
तो रेहन रखे जाने से पहले
भाग जाते दूर
जंगल के पार
फुसफसाते हैं घुटते हुये खेत-खलिहान🌻

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5 APR 2023 AT 0:58

Anyone,
So instead of
waiting for opportunity,
utilize your full physical and
mental potential by setting a plan
to achieve your goals.🌻

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5 APR 2023 AT 0:44

हमारी स्मृति में
सर्वप्रथम आने वाला
वो एक चेहरा जो किसी
चमकदार आइने की तरह
हमें सबसे पहले नज़र आता है
यक़ीनन हमारे जीवन के किसी न किसी
पड़ाव पर वो रहा होगा हमारा अच्छा साथी🌻

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5 APR 2023 AT 0:21

इन संघर्षो के दिनों में तुम बहुत याद आये,
संगीत में जैसे मधुर धुन राग के बाद आये।

बहती है जब विश्व में अपार आनंद की गंगा,
तो फिर क्यों मेरे नसीब में ही विषाद आये।

कैसे ना सताये वेदना उस खुशहाल घर को,
बात चलते ही जहाँ हर बात पर विवाद आये।

कोई बचकर सिर छिपाये भी तो कहाँ छिपाये,
अगर पीछे -पीछे से चलकर खुद प्रवाद आये।

रस की तलाश में कहाँ -कहाँ नहीं भटक लिए,
हमें तो संघर्षयुक्त इस जीवन में ही स्वाद आये।

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