वो दिन भी कितने रंगीन और अच्छे हुआ करते थे ।।
जब हम माँ के लाल , और पापा के अच्छे बच्चे हुआ करते थे ।।।।-
मत पुछो मेरे किरादर के बारे में वर्ना त... read more
ख़ुद से मिलना भी कभी जरूरी है ।
इसे लेकर बेपरवाही मत बरतो ।।
जिंदगी है अनमोल
इसे लेकर लापरवाही मत बरतो ।।।।
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ना जाने क्यूँ सोचता बहुत है दिल,
जिसका हो हीं नहीं सकता
उसके लिए धङकता बहुत हैं दिल ।।।।-
कितना वक़्त चाहिये तुमको,
अपना इश्क़ बताने के लिये ।।
तुम बिन हुँ एक जिंदा लाश,
लौट आओं,
फिर चाहे इसे दफ़नाने के लिए ।।।।-
कठिन जीवन को जीने की,
हैं मन-कुंठित जिज्ञासा ।।
तुम रहो साथ यूँही उम्रभर,
ये छोटीसी आशा।।-
खुली किताब की तरह छोड़ा है ख़ुद को,
जब चाहों आकर पढ लेना ।।
अधूरा है हर एक पन्ना तुम बिन,
ख़ुद आकर पूरा कर देना ।।।।-
ना जाने मेंने कितने ही अपने सपनों को तोडा है ।।
जिम्मेदारियाँ है जनाब ,
इनके चक्कर में ना जाने कितने पन्नो को कोरा छोरा है ।।।।-
मिलजुल कर कोई हल ढूंढते है।
संग में अपना कल ढूंढते हैं ।।
बहुत भटक लिए इन तन्हा रास्तों में,
ए बंजारे चल अब अपना घर ढूंढते हैं ।।।।-
नतीजा सोच ऐ मुसाफ़िर तू अपनें हमराहो का ,
अगर तू किसी का नहीं तो कोई तेरा नहीं ।।-