कभी वक्त मिले तो उन्हें गले जरूर लगाना,
कभी वक्त मिले तो उन्हें हाल ए दिल जरूर बताना,
जो वो दूर हैं तो भी उन्हें अपने पास होने का एहसास दिलाना,
कोई वक्त मांगे तो उसको नासमझी में टाल न जाना,
साथ चलते चलते बीच राह में हाथ छोड़ न देना,
अभी कुछ वक्त नही ऐसा बोलकर दिल तोड़ न देना,
जो पास है उसकी कद्र करना
जब वो कुछ बोले तो सब छोड़ कर उसको सुनना,
गलती अगर हो तो उसके सामने सिर झुकाना,
हमेशा सही हो ऐसा जोर कभी मत दिखाना,
उसको मनाना और फिर से नई शुरुआत करके
प्रेम की नई सुबह जगाना
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I m sure u won't regret urself following me...
Instagram: anubav_say
ऐ दोस्त जो हाथ थामा है,
तो साथ जरूर निभाना,
दोस्ती की राह में मुश्किलें कितनी भी आऐं,
पर कभी अकेला छोड़ कर मत जाना
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पल भर के दु:ख से मन ज़रूर घबराएगा
इम्तेहान की इस घड़ी में हौसला भी डगमगाएगा
तो क्या हुआ जो आज सितारे गर्दिश में हैं
आने वाला कल अपने साथ एक नई सुबह जरूर लाएगा
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इन्हीं बातों की आदत से ही तो रिश्तों की समझ होती है,
और आगे इस समझ से ही एक दूसरे की हिफाज़त होती है-
सोच लिया है, अब क्या सुनना सुनाना है,
ख्वाबों में तो बहुत मिले, अब रुबरु भी जल्द आना है।-
हवा के झोंके की तरह क्यूं आते हो,
जो पल भर में गायब हो जाता है...
आना ही है तो बारिश की तरह आओ,
जो जाने के बाद भी,
अपने होने का एहसास दिलाती है।-
मर्द!
कौन कहता है कि मर्द को दर्द नही होता,
आखिर वो भी एक इंसान है,
कोई उसको देखकर यूं टूट ना जाए,
बस इसलिए ही सबके सामने अपनी आँखे नहीं भिगोता,
वो एक कुटुबं का आधार है,
सिर्फ उसके कारण ही होता,
बहुत से लोगों का सपना साकार है,
वह अभिलाषा पू्र्ण ना होती देख घबरा जरूर जाता है,
पर सबकी खुशी के लिए उसे,
हर तरह से पूरा करने के लिए हिम्मत जुटाता है,
अपने कंधों पर जिम्मेदारी का बोझ लिए घूमता है,
फिर भी दर्द का एहसास तनिक भी नही दिखाता है,
सबको एक डोर में बांधे रखता है,
फैसले लेने में मुखिया बन जाता,
हर कठिन परिस्थिति में ढाल बन कर खड़ा रहकर,
वो मर्द कहलाता है।
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लगा लो इल्ज़ाम तुम भी ज़माने के बहकावे में,
एक दिन ये ज़माना ही तुम्हे एहसास कराएगा,
हमने प्यार कभी नहीं किया दिखावे में।
Laga lo ilzaam tum bhi zamane ke behkaawe mein,
Ek din ye zamaana hi tumhe ehsaas kraayega,
humne pyaar kbhi nahi kiya dikhave mein.
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तुम चले तो गए,
और जाते हुए बिना बोले ही बहुत कुछ कह गए,
ये कैसा प्यार था तुम्हारा!
माना हम गलत थे
पर क्या तुम्हें खुद से ज़्यादा दूसरों की बातों पर ऐतबार था?
क्या वो हमें तुमसे ज्यादा जानते थे,
वो तो बस मेरी शक्ल को पहचानते थे,
ज़रा एक बार तो मेरे दिल का हाल पूछा होता,
इस चुप्पी के पीछे की आवाज़ को ढूंढा तो होता,
ज़माना तो शुरू से जलता था,
तभी तो हम लोगो की तरह तरह की बातें करता था,
बस एक बार तो हमसे बात करती,
दिल की नफरत मिटाने के लिए
गुफ्तगू हमारे साथ करती,
पर तुमने तो मुंह मोड़ लिया,
इतने दिन का रिश्ता एक पल में तोड़ दिया,
दिल सिर्फ तुम्हारा नही टूटा है,
मेरा भी किसी अपने के साथ रिश्ता छूटा है,
दूसरों की बातों में आकर यह बहुत गलत हुआ,
ऐसा लगता है जैसे दिल अपनी धड़कन से अलग हुआ।
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