मर्द!
कौन कहता है कि मर्द को दर्द नही होता,
आखिर वो भी एक इंसान है,
कोई उसको देखकर यूं टूट ना जाए,
बस इसलिए ही सबके सामने अपनी आँखे नहीं भिगोता,
वो एक कुटुबं का आधार है,
सिर्फ उसके कारण ही होता,
बहुत से लोगों का सपना साकार है,
वह अभिलाषा पू्र्ण ना होती देख घबरा जरूर जाता है,
पर सबकी खुशी के लिए उसे,
हर तरह से पूरा करने के लिए हिम्मत जुटाता है,
अपने कंधों पर जिम्मेदारी का बोझ लिए घूमता है,
फिर भी दर्द का एहसास तनिक भी नही दिखाता है,
सबको एक डोर में बांधे रखता है,
फैसले लेने में मुखिया बन जाता,
हर कठिन परिस्थिति में ढाल बन कर खड़ा रहकर,
वो मर्द कहलाता है।
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