ANU SUWALKA   (अनु सुवालका)
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Joined 8 April 2019


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23 FEB AT 21:53

मनुष्य अपना विकास प्रकृति से लड़ाई करके कभी नही कर सकता।
मनुष्य प्रकृति से सहयोग और सामंजस्य बनाकर विकास कर सकते है।

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19 FEB AT 13:27

कितना अनुचित है ना
जीवन को एक दिन समाप्त होना ही पड़ता है।

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6 FEB AT 20:12

जिंदगी रोज सफर करती है
मंजिल है,जो मिलती नही।

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3 FEB AT 13:02

असहनीय धुप से एक पौधा इस कदर मुर्छित हुआ जैसे
किसी परीक्षा में परीक्षार्थी 0.66 प्रतिशत से चयन नही हुआ हो।

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31 JAN AT 21:46

तुमने मेहनत की हैं,परीक्षा की
साबित करके बताओ।

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28 JAN AT 16:39

आप नही जानते
आपकी बातें,आपके शब्द,दूसरो के दिमाग़ में बार-बार
दोहराए जाते है।

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26 JAN AT 16:06

कैद..कैद का अहसास तब होता है,जब हम उसे महसुस करते है।
तब जानते है,कैद क्या है और आजादी क्या है।

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18 JAN AT 15:54

स्त्री को कोई नही हरा सकता
उसे सिर्फ भावनात्मक रूप से हराया जा सकता है।

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24 NOV 2023 AT 14:20

पारिवारिक, जातिगत और धार्मिक...
ये सब मतदान के निर्णय को प्रभावित करते हैं।

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6 MAY 2022 AT 16:03

जीवन परीक्षा के प्रश्नों जैसा हो रहा हैं।
अ- उपर्युक्त सभी
ब- इनमें से कोई नहीं

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