वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था,
रूबरू तो अक्सर होता था,
इस कदर उनकी गिरफ़्त में आ जाएंगे, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥
सिलसिले बढ़ते गए यूं हमारी नज़रों के,
बेकरारी बढ़ती गई इस दिल के हसरतों के,
ख़्वाबों में अक्सर आने लगे थे वो,
यूं हक़ीक़त बन जाएंगे, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥
हाल-ए-दिल क्या होगी मालूम ना था,
मिलने पर जो महसूस हुई, मालूम न था,
नज़रों का पैमाना कब छलक उठा,
कब ये जवां दिल उनके आने पे धड़क उठा,
आगोश में ऐसे ले लेंगे वो, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥
होश में भी हम मगर बेहोश रहे,
क़िस्से उनके हम दोस्तों को सुनाते रहे,
पल पल का ज़िक्र मेरे लबों पे था,
नस नस में वो समा जाएँगे यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥
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