क्या ही कहूँ अब तुमको
पता है वक़्त नहीं तुमको
बहुत कुछ करना है अपनी ज़िंदगी में तुम्हें,
हर सपने जो तुम्हने देखे हैं उन्हें पूरा करना है
अकेलापन तुमको प्यारा लगता है पर मुझे तुम
तुम्हारे सपनों में शायद मै नहीं पर मेरे सपनों में बस हो तुम
पूछती रही तुमसे की कब बात करोगे
पर वक़्त नहीं तुम्हारे पास इतना भी की जवाब ही दे सको
की कभी नहीं
शायद तुम्हारी घड़ी की सुई अटक जाती है कहीं ओर
अब समझ गई हूँ मैं जब तुम्हारे पास वक़्त ही वक़्त था
उस वक़्त का इस्तेमाल थी मैं
मेरा समय तो तब भी तुम्हारा था अब भी तुम्हारा ही था
बस अब नहीं
दूरियाँ ही तुमको चाहिए थी तो ठीक है आज से तुमको दूरियाँ
मुबारक हो मेरी
बिन कहे ही तुम्हें बहुत कुछ कह दिया
मेरी हर कोशिश को तुम्हने नाकाम कर दिया
जाओ अब हमने भी तुमको अपनी ज़िंदगी से निकाल कर
तुम्हारा आगे बढ़ने का रास्ता आसान कर दिया
मिल जाये कोई और तुम्हें तुम्हारा जैसा
बस इतनी दुआ ख़ुदा से मैंने माँग लिया
इश्क़ है तुमसे और रहेगा भी
पर अब अपना समय मैंने ख़ुद के लिए रख लिया
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