दिनभर की जब लबों की झूठी मुस्कुराहट,
रात के अंधेरों में,आँखों को गीली कर गई
मशरूफ़ करके रखा था जिसे उजालों में,
उन फ़िक्र ख्यालों की, रातों में नींदे उड़ गई
जज़्बात पर बदलावों के शूल कुछ यूँ गड़े,
मानो दिल पे कोई बिजली गिर गई-
Anu Gupta
(•••★Anu★♥️)
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Hiii...🙋♀️
Dear Writer Dosto...
Writing🖊 से बेइंतिहा मोहब्बत है❤️,
शब्दों के ... read more
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Joined 26 May 2018
25 AUG AT 0:08
9 JUN AT 22:36
है बड़ी अजब
जो संतान रुलाये है पल पल उसे
तड़पे उसी की ख़ातिर
उसकी पाने को एक झलक-
4 MAY AT 8:46
अब कुछ थकी सी हूँ
पर इन चुपचुप गलियों में,
बातों का भी एक इतवार आता तो अच्छा होता-
24 NOV 2024 AT 22:06
तेरे हाथ में मेरे हाथ को, रखने की पहल हुई
हाँ! विवाह बंधन में, अभी थोड़ा इंतज़ार है
पर मेरे मांग को तेरे सिंदूर की तलब हुई-
29 SEP 2024 AT 14:45
किवाड़ की सिकड़ी का इंतज़ार
यही तक का था
कि,
महकती फूलों संग उनका
पैग़ाम जो आया है-
29 SEP 2024 AT 8:25
मानो आँसूओं में घुलें, शब्दों से लिखा हो
क़समों वादों को तोड़ने वाला, एक अनचाहा तार-
29 SEP 2024 AT 8:07
मानो जिसे कभी जानबूझ कर पकड़ लिया हो
और उसके एवज़ में वो मनावन चाहता हो-