तुमसे मिलने की चाहत मेरी अधूरी है
क्या अभी भी वो अंतिमा पूरी है?
अधूरी जिसे दुनिया कहती है
क्या तन्हाई अब भी उसकी सहेली है?
चाहे उसके पास हो पूरी दुनिया के लोग
लेकिन उसके अंदर कोई तो कमी हैं
नीचे आसमां या ऊपर जमी हैं
हर कही उसके जीवन में नमी हैं
धुप की कमी हैं गम की जमी हैं
क्या यही उसकी बेचैनी है-
उम्मीदों के साथ नया जीवन शुरू करे,कुछ तो नया करे
ख्वाबों के खाके को कुछ और बड़ा करे,कुछ तो नया करे
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मेरे लिए
उसपर मेरा ही हक है
बचा कर रखना
अपना प्यार और आसु मेरे लिए उनपर मेरा ही हक है
बचा कर रखना जिद और गुस्सा मेरे लिए उनपर मेरा ही हक है।-
तुम पहली किरण हो
तुम गर्मी के बाद की पहली बारिश
वो मिट्टी की महक
वो सुबह की ओस की बूंद
वो माँ का बच्चे के लिए पहला प्यार
तुम ही हो वो जिसकी खुशबू से मैं सराबोर हूं
तुम ही हो
बस तुम ही हो-
मालूम कहाँ था तेरे चेहरे के तिल का राज़
आज समझ आया के ये तेरे हुस्न का पहरेदार है...
साड़ी तेरी कमर पर है पर खुले ब्लाउस के फंदे,
बस कमी ही इस बात की है जो बाल बंदे है
काश होते खुले...
ओर होता तेरे पास मै कुछ
बाहो में लेता थाम तुझे।
ओर कहता बस ये बात में..
कोमल तेरा बदन, तू संगमरमर की मूरत है
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ, तू इतनी खूबसूरत है |-
हर बात में तुम हो
मेरे हर एहसास में तुम हो
मेरी जीत में तुम हो, हार में तुम हो
मेरे बचे हुए संसार में तुम हो
मेरी प्रीत में तुम हो, रित में तुम हो
मेरी तड़प और उम्मीद में तुम हो
मेरा कल तुम हो, मेरे आज तुम हो
मेरे अच्छे बुरे हालात तुम हो
मेरी जान तुम हो,जहांन तुम हो
मेरे सम्मान और अभिमान तुम हो
मेरे जीने की उम्मीद तुम हो, मरने का डर तुम हो
मेरे घर और शहर तुम हो
रात तुम हो, अंधेरा तुम हो
सुबह तुम हो,सवेरा तुम हो
हालात तुम हो, जज्बात तुम हो
जो खुशबू छोड जाए वो एहसास तुम हो
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अव्यवस्थित सी साड़ी में वो व्यवस्थित लड़की।।
तस्वीर देख के जिसका रुप बस गया मेरी आँखों मे।
नशा कुछ ऐसा कर गया उसका हुस्न, जो कभी नहीं हुआ मुझे मैखाने में ...
रुप रंग हुस्न सब ही तो कमाल है
उसकी साड़ी का रंग लाल है, और मेरा बुरा हाल है।-
आइना दीवाना था मेरा कभी,अब मुझे देखकर वो मुंह मोड़ लेता हे
बेहिचक होकर वो दिल तोड़ देता है ।सिखाता हे, नई बातें और पुरानी बातों पर बहस छोड़ देता हैं।-
तुझे चाहना और चाहते रहना जीवन का उसूल है
हमे एक बार छू के तो देखो मेरा दिल कांटा नही फूल है।हर फूल को आखिर मुरझाना पड़ता है
हर एक शख्स को ग़म उठाना पड़ता है
दिल को इतनी अक्ल कहां होती है
दिल को अक्सर समझाना पड़ता है
बने बनाये घोसले नहीं मिलते परिंदों को
तिनका तिनका जोड़कर बनाना पड़ता है
सुबह फिर निकलता है नई रौशनी लेकर
हर शाम सूरज को डूब जाना पड़ता है
ऐसे रिश्तों की उम्र बहुत कम होती है
जिनमे हमेशा यकीन दिलाना पड़ता है-
कली खिलाना बात बड़ी नही उसे फूल कोई बना दे ये हुनर बेशकीमती हैं।वक़्त लगता है पर आत्मा से आत्मा जरूर मिलती है
आसानी से कहां बागों में कली खिलती है फूल ही तो आकर्षित करता है और मुरझा कर फिर शून्य में परिवर्तित हो जाता है।
उस चाहत को वो खत्म कर देता जो उसे देखकर ही उत्पन्न हुई थी।-