अंतहीन सागर (V. DUBEY)   (अंतहीन सागर)
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Joined 18 May 2021


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Joined 18 May 2021

मेरी प्यारी बहना,
तुझे क्या ही उपहार दूँ ,
दिल तो है कि तेरी छोटी सी मुठ्ठी में सारा संसार भर दूँ ।

इंद्रधनुष की रंगत दूँ ,या फिर वन उपवन तुझ पर हार दूँ ।
जुगनू की चमक दूँ ,या फिर बरखा की बूंदों की बहार दूँ ।

ओस की बूंदों की ठंडक दूँ ,या सूरज का तेज तुझ पर हार दूँ ।
समुद्र के हीरे मोती दूँ ,या फिर खुला आसमान तुझ पर वार दूँ ।

चांद की शीतल चांदनी दूँ ,या फिर तारों का बिछौना तुझ पर हार दूँ ।
शहद की मीठी मिठास दूँ ,या फिर बगीचों के फूलों की खुशबू तुझ पर वार दूँ।

ज्यादा कुछ तो है नहीं मेरे पास ,
बस दिल से भरपूर प्यार दूँ , तुझे अनगिनत आशिषों का उपहार दूँ ।

जन्मदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं प्यारी लाडली बहन🥳🥳❣️❣️

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पहाड़ों से खिसकती चट्टानों को रुकने की नसीहत दी नहीं जाती ,
अभ्र से गिरती हुई कीमती बूंदों को भी अपना अंजाम पता होता है।

अभ्र=आसमां

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प्रेम क्या है ?

अधिकार......!
स्वामित्व......!
या एक जकड़न.....!

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औरत/महिला आखिर है क्या ???

कभी बैठ कर विचार किया है🤔🤔

वो इस समाज का पूर्ण चक्र है,
जिसके भीतर सृजन, पोषण और परिवर्तन करने की अद्भुत शक्ति है ।❤️

और हमें हमेशा ऐसी शक्ति के प्रति ' कृतज्ञ ' होना चाहिए न कि ' कृतघ्न '।

आप सभी को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏

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इक सलाह : समय निकालकर इन उपन्यास को अवश्य पढ़ें।

1. गुनाहों का देवता
2. मैला आंचल
3. अंधा युग
4. गबन
5. कितने पाकिस्तान
6. वैशाली की नगर वधू
7. राग दरबारी
8. तमस
9. 12th फेल
10. बनारस टाकीज

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दूसरों की गलती पर पीएचडी करने से बेहतर है
अपनी मानसिकता पर ही ग्रेजुएशन कर लिया जाए।

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।। मनमोहक सा बसन्त ।।

गांवों की पगडंडी की सुबह की वो गीली सी धूल...
खेतों में खिलते वो सरसों के पीले से फूल ।
बागों में उठने लगी अब मद-मस्त सी सुगन्ध,
लो देखो आ गया अपना मनमोहक सा बसन्त।।

पीहू पीहू अब गाएंगी कोयल,
पौधों में फूटेंगी नन्ही सी कोपल।
जिसे देख पुलकित होगा बालमन अनन्त ,
लो देखो आ गया अपना मनमोहक सा बसन्त।।

लताएं लगेंगी फिर से शाखाओं पर इठलाने,
रंग बिरंगी तितली आएंगी फूलों पर इतराने।
चहचहाट से चिड़ियों की हर्षित होगा हर एक कुंज,
लो देखो आ गया अपना मनमोहक सा बसन्त।।

होगी अब सुनहरी संध्या और सुखद सा प्रभात,
आकाश भी निखरेगा सुंदर रंगों को साथ ।
खिलखिलाती धूप से होगा अब सर्दी का अन्त,
लो देखो आ गया अपना मनमोहक सा बसन्त।।

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सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।

विद्या एवं ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की आराधना और बसंत ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पर्व 'बसंत पंचमी' की हार्दिक शुभकामनाएं।

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सर्वश्रेष्ठ विघ्नहर्ता *** = पिता❣️

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प्यार????

प्यार को अक्सर हर कोई अपने हिसाब से परिभाषित करता है, मेरे हिसाब से प्यार...
"सम्पूर्ण निष्ठा और त्याग का प्रतिरूप है"।

किसी के लिए प्यार "अन्धा" होता है तो किसी के लिए "दीवाना", "मस्ताना" और "बेगाना" होता है. प्यार को हम कई रूपों में देख सकते हैं. किसी शिशु के प्रति प्यार को हम "वात्सल्य" कहते हैं. अपने बच्चों के प्रति माता पिता या परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाने वाले प्यार को "ममता" कहा जाता है. प्रेमी द्वारा प्रेयसी या प्रेयसी द्वारा प्रेमी के प्रति होने वाला प्यार "प्रेम", "इश्क" या "मोहब्बत" कहलाता है.

आज के समय में जो प्यार (प्रेम, इश्क या मोहब्बत) किया जाता है, उसे हम प्यार नहीं कह सकते. वह केवल और केवल एक आकर्षण होता है, जो कुछ समय के लिए ही होता है. ऐसे खुशनसीब नाममात्र के होते हैं जिनका प्रेम लम्बे समय तक चलता है या वो लोग निभाते हैं. सही मायने में तो प्रेम में दर्द ही मिलता है. तभी तो इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है -
L - Lake of sorrows
O - Ocean of tears
V - Valley of death
E - End of life
यानी कि प्रेम दुःखोंं की झील है, आंसुओं का समुद्र है और मौत की घाटी है, जिसमें हमारा जीवन समाप्त हो जाता है. जीवन में हम कभी भी किसी से प्रेम करें तो वो हमेशा पवित्र होना चाहिए.

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