लगता है जैसे...
तुम हो किनारा और मैं लहर,
बस मुझे तुम्हारीं ओढ़ हर पहर।।
तुम मेरी ओर बढ़तें ही नहीं,
मुझमें कभीं समाते ही नहीं।।
एक, मैं ही पहल कर रही हूँ,
प्यार से इश्क़ का फ़ासला तेह कर रही हूँ।।
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बिना धूप के मुरझाई तो नहीं, पर,
धूप आए तो खिल रहीं हूँ ।
तुम मुद्दतों से मिले नहीं, पर,
तुम आए तो मिल रहीं हूँ ।
वैसे तकलीफ़ हैं भी नहीं, पर,
तवज्जोह बरसाए तो मुंदमिल हो रहीं हूँ ।-
मैंने तुम्हें चाहा,
पर तुम चाहत लौटाओ, ज़रूरी तो नहीं।
मुझे प्यार की उम्मीद है,
किसी पर लादी हुई मजबूरी की नहीं।-
Friendship is a two-way street,
But unfortunately...
Love is not!— % &-
आप क्या मिल गए,
तो दिल को भाता ऐसा काम काज छोड़ दिया,
हमने तो अपने आप पर नाज़ करना छोड़ दिया।।
अभी जख्म सारे भरे भी नहीं,
फिर भी इलाज़ करवाना छोड़ दिया,
हमने तो अपने आप पर नाज़ करना छोड़ दिया।।
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इतना आगे भी मत बढ़ जाना,
कि वह अकेले रह जाए...
इतना भी मत मरोड़ना उन्हें,
कि वह टूट ही जाए।।
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तुमसे यह कैसी लढ़ाई हैं,
इसमें हार जीत सब फर्जी हैं,
अंत में,
तुम भी नाराज हो,
हम भी उदास हैं ||
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ए शाम,
मेरे यार के लिए मेरा पैग़ाम रखना,
उसमें,
जुदाई से उभरने का हौंसला रखना,
दिल को दिलासा दे - वह एहसास रखना,
सिर्फ़ और सिर्फ़ खुशियां रखना,
क्योंकि,
दूरी काफी है मायूस करने के वास्ते,
तू बस बेइंताह प्यार रखना !!
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