✨ "अंत: अस्ति प्रारंभ" ✨🌪️   ((मेरे_अनकहे_शब्द_💔))
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Joined 2 October 2020


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“अब लौट रहा हूं खुद की तरफ़”

वो लम्हा था जब सब कुछ उसका था,
अब हर लम्हा मेरा अपना बनाना सीख रहा हूं।

दिल से दिल की बात जो अधूरी रह गई,
अब बिना कहे भी खुद को समझाना सीख रहा हूं।

इश्क़ में जो खुद को खो दिया था कहीं,
अब हर रोज़ खुद को पाना सीख रहा हूं।

कभी जिसको देख कर दिल धड़कता था,
अब आईने से नजरें मिलाना सीख रहा हूं।

लौट आए हैं सन्नाटे इस दिल के आँगन में,
अब इनसे भी बातें बनाना सीख रहा हूं..✍️

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श्राप है मुझे, है ये रंजो ग़म का सिला,
जिसे भी चाहा दिल से, वो छोड़ गया सदा..!!
छीन लेती है ज़िंदगी हर अपना अज़ीज़,
इसीलिए अपनों से कर लिया फ़ासला..!!
अंधेरों में चाहा था रौशनी किसी की,
मगर हर बार अधूरी रही वो दुआ..!!
रिश्तों को मैं ही दूर से तोड़ देता हूँ,
क्योंकि हर जड़ पे बरसा है दर्द का सिला..!!
कोई तो हो जो रखे मेरा भी कभी ख़्याल,
जिसके लिए जियूं मैं, हौसले में बन जाए वो प्यार..!!
मिलना है अब ऐसे शख़्स से जो कभी जुदा न हो,
जो रहे पास मेरे, बस मेरा प्यार खुदा सा हो..!!
चाहत हो उसकी ऐसी कि हर साँस में वो ढल जाए,
मेरे हर टूटे ख्वाब को अपनी दुआ से सजाए..!!
वरना रह जाऊंगा तन्हा, बस इसी एक तमन्ना में,
कोई आए, थामे हाथ, इस अधूरी सी जिंदगी के फसाने में.....✍️

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"खुद की तलाश"

खुद की ही तलाश में, निकला था सफ़र पर,
मंज़िल की आरज़ू में कुछ दूर ही चला था।

बस मिलने ही वाला था मैं अपने आप से,
फिर राहों में तेरा चाँद सा चेहरा मिला,

तेरी नज़रों ने मुझसे मुझको ही छिना,
ना मैं ख़ुद का रहा, तेरी ओर बह चला..!!

एक तू मिला, तो ख्वाब भी बदले मेरे,
हर साँस में अब तेरा नाम और दिल बस तेरा हो चला..!!

मैं ढूंढ रहा था जिसे सुकून की राहों में,
तेरे पास तो पाया पर,

ख़ुद की ही तलाश में,
मैं फिर अकेला चला.....✍️

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लोग अपना दिल हल्का करने के लिए,
अक्सर दूसरों का दिल तोड़ देते...✍️

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हम सब अपनो के साथ जिंदगी बिताना चाहते हैं,
पर धीरे-धीरे करके लोग वक्त के साथ बिछड़ते जाते हैं,
और कुछ लोग साथ छोड़ जाते हैं... ✍️

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पहले कहानियां पूरी हो जाती थी,
अब कहानियां अधूरी रहे जाती हैं..✍️

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हमारे रिश्ते में सबकुछ सच नहीं था,
लेकिन झूठ भी नहीं था...✍️

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लोगों को ठेस इसलिए मत पहुंचाओ,
क्योंकि तुम्हारा मूड खराब हैं,
चाहे मूड कितना ही खराब हो,
मुस्कुराना सीखो,
इससे अच्छे इंसान बनते हैं...✍️

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साल जरूर बदल रहा हैं,
लेकिन साथ नहीं..!!
स्नेह सदा बना रहे..✍️

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जब चाहत थी तो मुझसे मोहब्बत रही,
अब मोहब्बत नहीं फिर भी तेरी चाहत कैसी..??.✍️

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