तुलसीदास जी कह रहे हैं रहीम से
ऐसी देनी देन ज्यूं तित सीखे हो सेन
ज्यों ज्यों कर ऊंचो करो त्यों त्यों नीचे नैन
(((ऐसा दान देना कहां से सीखे हो मित्र
जैसे जैसे तुम दान करने के लिए हाथ ऊपर उठाते हो वैसे वैसे नैन नीचे क्यों कर ले हो मित्र रहीम)))
रहीम उत्तर दे रहे हैं
देनहार कोई और है जो भेजत दिन रैन
लोग भरम हम पैं करें तांसो नीचे ना नैन।।
रहीम कह रहे हैं कि देने वाला कोई और है जो दिन-रात भेज रहा है और लोग हम पर भ्रम करेंगे कि मैं यह दान कर रहा हूं इसलिए मेरे नैन नीचे हो जाते हैं।
कितने महान लोग थे इस भारत में, कहां गई यह परंपरा आज भारत में??,😪😪
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दोष क्यों देते हो अरे इम्तहान को
दोष क्यों देते ... read more
सफेद झूठ संवेदनशील
भारत में जितने भी राजनीतिक दलों ने केंद्र और राज्यों में सरकारें चलायीं,
वह अगर सच में भारत के जनता के
स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होते
तो सबसे पहले गुटखा सिगरेट शराब रसायन से भरे उत्पाद प्रतिबंधित करते।
लेकिन ऐसा नहीं है तो हम भारत के आम नागरिक हर राजनीतिक दल की निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं????
कोरोनावायरस वर्तमान समय में सभी राजनीतिक दल जो बाद आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर कह रहे हैं और जाहिर और जता रहे हैं कि वह कितने संवेदनशील हैं जनता के स्वास्थ्य को लेकर
यह कितना सही है???-
विरोध
हमें यह समझना होगा
कि विरोध का अर्थ क्या है
परिवर्तन या केवल बदला।
अज्ञात-
स्वयं में छिपा है वह फूल जो हम ढूंढते हैं बाहर
दीया वो अंदर ही जल रहा है जो हम ढूंढते हैं बाहर
वह परमात्मा छिपा है स्वयं में जो हम ढूंढते हैं बाहर-
तमाम उम्र असत्य पर काटी है यारों
अब तो सत्य का स्थान है ह्रदय में यारों
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हार-जीत
युवाओं के हृदय में देश और स्वार्थ का संग्राम उसी समय आरंभ हुआ जब उन्होंने स्नातक पास की
युवा देश को बदलना चाहते है
किंतु स्वार्थ ने देश पर विजय पाई
उन्होंने झूठ नकल स्वार्थ भ्रष्टाचार बेईमानी का व्यापार शुरू कर दिया।
देश से प्यार कहता है
कमजोरों की सेवा करो
स्वार्थ कहता था धन की कीर्ति पैदा करो।
देश की फिर हार हुई
धन ने अपनी तरफ खींचा
सेवा-भाव धन की लालसा के नीचे दब गया
जैसे अग्नि राख के नीचे दब जाती है।-