18 OCT 2017 AT 1:35

मेरी तन्हाई के मायने तुम क्या जानो,
तुम्हे तो अपनों में नुख्स ढूंढने की आदत सी है।।

तुम्हे लगता है सब अबस,
बेकार, बेमतलब बहस करने की आदत सी है।।

जी कर भी ना जी रहे हो तुम,
बेफिजूल गुफ्तगू करने की आदत सी है।।

वक़्त से जीतना चाहते हो,
मगर तुम्हे तो हारने की आदत सी है।।

दर्द दे के मलहम लगाने का क्या फायदा,
अफ़सोस, तुम्हे तो दिल दुखाने की आदत सी है।।

ज़िंदगी की दौड़ में कहीं पीछे ना रह जाओ,
मगर तुम्हे अक्सर दौड़ में गिरने की आदत सी है।।

उस ओर देखता हूँ मैं, तो सब साफ नज़र आता है,
मगर तुम्हे तो चश्मा लगाने की आदत सी है।।

सब खुश हैं एक अर्श में रह के,
मगर तुम्हें तो गुलिस्तां उजाड़ने की आदत सी है।।

- Pandey"आवारा"