जो जगत के परम पालक, जिन्हें पूजते इंसान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।
इस सकल संसार की, जो दिव्यदृष्टि महान हैं।
हैं वो ब्रह्मा, हैं वो शंकर, विष्णु हैं, हनुमान हैं।।
वो अजर हैं और अमर हैं, प्रति जीव की वो जान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।
युग युगों से बढ़ रहा जो, धरा का विज्ञान है।
कुछ नहीं है वो अपितु, भगवान का ही दान है।।
सुख भी देता, दुःख भी देता, देता वो सम्मान है।
हर क्षण बदलती स्थिति की, भी वही पहचान है।।
हर निलायम में जिन्हें, पूजते इंसान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।
अंश है, जिसका सभी में, जिसका दिया सब मान है।
भक्त जिसके धनी-निर्धन, सभी एक समान हैं।।
जिनकी कृपा से दूर होता, व्यक्ति का अज्ञान है।
आशीष से जिनके हुआ, मूढ़ भी विद्वान है।
वही अटल हैं, वही सत्य हैं, शक्ति की पहचान हैं।
वो हैं ईश्वर, वो कृपानिधि और वो भगवान हैं।।
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