Anshuman Pandey  
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Joined 9 April 2017


Joined 9 April 2017
30 MAR 2022 AT 17:29

काश सुना पाता मैं एहसास तुमको खोने का,अंजाम दिखा पाता तुम बिन तन्हा होने का।।
व्यर्थ है तुम बिन जीवन होने का,कोई अर्थ नही है सबकुछ होने का।।

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11 JUN 2021 AT 12:36

जो भी करो मन से करो,स्वयँ में एक विश्वास भरो।
परिणति की चिंता छोड़,निज लक्ष्य हेतु पयान करो।
नित्य विजयी रहोगे तुम,मन मे ऐसी आस रखो।
प्रत्येक जन है श्रेष्ठ जग में,बस कुछ सीखने का प्रयास करो।।

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30 JUN 2020 AT 12:41

जीवन इतना आसान नहीं होता,संघर्ष कभी नाकाम नहीं होता।
नजरिये की बात है साहेब,क्योंकि पैदा कोई महान नहीं होता।

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27 APR 2020 AT 17:33

ये कैसी विपदा आन पड़ी है,सबकुछ है पर कोई साथ नहीं है।।

मिलना भी किसी से दुशवार हुआ है।
संसार का ऐसा हाल हुआ है।।

पृथ्वी भी अब चीत्कार उठी है।मानव से अब हार चुकी है।।

पापों का ऐसा उदय हुआ है।
दुख में भी न कोई साथ खड़ा है।।

सफेद कोट खाखी वर्दी ही।
ईश्वर का अवतार हुआ है।।

प्राणों की चिंता किए बगैर।स्वयं काल को ललकार रहा है।।

ये कैसी विपदा आन पड़ी है।
ये कैसी विपदा आन पड़ी है।

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8 MAR 2020 AT 9:47

संघर्ष की परिभाषा हो तुम,एक पिता के जीने की आशा हो तुम।
तुम कोई अबला या बेचारी नहीं, बल्कि शसक्त भारत की नारी हो तुम।।

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19 DEC 2019 AT 2:07

अकसर भटक जाता हूँ राह से मैं,हर बार संभाल लेता है वो।
कभी मित्र तो कभी शिक्षक बन कर,सही राह दिखा देता है वो।
अरे परेशान क्यूं हो अस्तित्व में उसके,याद तो करो दिल से,हमेशा अपना लेता है वो।
मीरा का श्याम कहो या शबरी का राम कहो उसे,नाम लेने मात्र से इस भवसागर से पार लगा देता है वो।

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16 OCT 2019 AT 21:35

छिपाये फिरते हैं जिन दर्दों को दुनियां से,एक शब्द बोलने भर से पहचान लेती है वो।
एक आह निकलने भर से मेरी, रात बिना नींद के गुजार देती है वो।
अरे है नहीं वो फरिश्ता कोई मेरे दोस्त, बस मेरी माँ है वो।।

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5 SEP 2019 AT 7:03

इश्क की कश्ती में, बस साथ तुम्हारा हो।
पार होंगे समंदर भी,बस विश्वास हमारा हो।
अरे सच कहता हूँ जीत लूंगा जमाने को भी,बस मेरे हाथों में हाथ तुम्हारा हो।

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14 JUN 2019 AT 23:38

आती नहीं है नींद आजकल,लम्बी हो गई हैं रातें।।
भूलना तो चाहता हूँ कमबख्त उसे,बस पीछा छोड़ती नहीं यादें।।

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13 JUN 2019 AT 21:27

करना चाहता हूँ शुक्रियादा तेरा,याद दिलाने के लिए औकात मेरी।
देखता हूँ मैं भी बातों के बिना मेरी,गुज़रती है कैसे रात तेरी।

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