उम्मीद ही हमारी जिंदगी का आधार है,
दुनिया की सारी खुशियाँ उम्मीद पर टिकी है ,
रात के अंधेरे के बाद सुबह की उम्मीद,
बिछड़ने के बाद मिलन की उम्मीद,
दुःख के बाद सुख की उम्मीद,
आंसुओं के बाद खुशियों की उम्मीद,
इंकार के बाद इकरार की उम्मीद,
तकरार के बाद प्यार की उम्मीद,
हार के बाद जीत की उम्मीद,
बुरे वक्त के बाद अच्छे वक्त की उम्मीद,
हर फरियाद पर खुदा से उम्मीद,
और सबसे धोखा खाने के बाद,
केवल खुद से उम्मीद....
यह उम्मीद ही तो है जो हमें हर हालात में जिंदा रखती है...
बस एक उम्मीद.......!!!-
And A teacher who love to write !!
अधूरी कहानियाँ जरूरी हैं ज़िंदगी के लिए ,"ख़ामोश"
श्याम को ना मिली राधा, मीरा ने दी जिंदगी बंदगी के लिए !!
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जो हमने कहा नहीं तुमसे हाल- ऐ- दिल "ख़ामोश"
तो ऐसा भी नहीं की हमको ख्वाहिश भी ना थी ...!!-
कहने को तो मैं आज़ाद भारत की नारी
आज की नारी सब पर भारी
मगर आज भी आज़ाद नहीं हूं बेड़ियों से
सवाल है पुराना मगर सही है कि
कैसे खुद को बचाकर रखूं वहशी भेड़ियों से
डर कर घर से बाहर ना जाऊं
सिमट रह जाऊं मकान में
कभी खेलूं ना मैदान में
देश के लिए मेडल कहां से लाऊं
क्या लड़की होना औरत होना ही काफ़ी है
क्या मैं तुम जैसी इंसान नहीं
तुम भी तो मेरे जैसे मांस हड्डी से बने हो
तुम भी तो कोई भगवान नहीं
क्यों हमको सिखाते हैं सहना हर बात को
खुद तो तुम सब सहते नहीं
सीमा लांघ रहे हो धैर्य की अब तो ...
समाज का हिस्सा बराबर बन कर क्यूं रहते नहीं
खैर है तभी तक इन दरिंदों की
जब तक नारी ने थामी हाथ में तलवार नहीं
एक समाज में रहते हैं पूरक बन कर
फिर भी समान अधिकार नहीं ....
स्वतंत्रता दिवस कैसे मना सकते हैं हम
सब खबरें देख रूह कांप जाती है
कुछ कहो तो पुरुष अभिमान को चोट भी पहुंच जाती है
भूल क्यों जाते हो दुनिया में भी नारी तुमको लाती है
इज्ज़त चाहो तो इज्ज़त देना भी सीखना होगा
नारी खुद के लिए खुद ही तुमको लड़ना होगा
पग पग पर दुशासन है बैठे यहां
खुद का कृष्ण खुद बनना होगा ....
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Amidst the quiet, I discovered my liberty,
As I wrote down the thoughts racing through my mind,
I felt the weight of my worries slowly lifting,
like birds taking flight....
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In the stillness of silence,
I found my freedom.
With pen in hand,
I captured the whirlwind of thoughts striking my mind,
and in doing so, I unleashed my true self
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When you escape the confines of memories past,
They surge back with renewed vigor, forever to last,
Intensified emotions, a nostalgic refrain,
A bittersweet reminder of love, joy, and pain."-
"Memories slumber, waiting to awaken,
Until you emerge, and they begin to unfold,
Hitting you with intensified fervor,
A bittersweet reminder of moments grown old."
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उन ख़वाहिशों को
कहाँ दफ़न कीजिएगा "ख़ामोश"
जिन्होंने दम तोड़ दिया
जिम्मेदारियों के बोझ तले ।।-
आज भी तुम्हारा आखिरी सवाल याद करवाता है
कि अगली मुलाकात कब ??
जनाब हम खुद से बिछड़े लोग हैं
आपसे क्या खाक मिलेंगे !!
हां मिलना हो कभी
तो किसी शाम चले आना
हमारे खामोश पलों में ...
हम अक्सर वहां टहलते हैं संग तुम्हारे
मगर तुम्हारी इजाज़त के बिना ..... !!
तुम भी आकर गले लगा लेना
हमारी इजाज़त के बिना .......!!🫂-