प्यार, प्रेम
एक अनुभूति
एक अहसास
भावों से घिरा
शब्दों से परे
हृदय स्पर्शी मधुर रस
प्रकृति का अविस्मरणीय राग
हर तत्व में समाहित
जीव जीव में आवासित
आदर सम्मान से सुशोभित
रिश्तों की मिठास का संचालक
एक धागे से सर्वसंगठित
जिसके बिन सब है सूना सूना
न कोई भाव, न कोई रस
त्याग, कल्याण विहीन
जीवन निःशब्द
प्रेम बिन-
मन रूपी मंदिर
अथाह भाव का सागर
कभी रोपित, कभी कुंठित
कभी खुशी से सराबोर
तो कभी दुःख के काले बादल
कभी अचंभित, कभी हर्षित
प्रेम में डूबा, खोया किसी खयाल में
मग्न है अपनी मदमस्ती में
वास्तविकता से दूर
भावनाओं में लिपटा
न कोई शंका, न कोई द्वेष
बस एक सुंदर पैगाम
ये तटस्थ, बेपरवाह मन रूपी मंदिर
बस है तो केवल अपने प्रियतम का-
मौन, शांतचित्त, पूर्ण शून्य
अंतरात्मा की प्रतिध्वनि
श्वासों की यात्रा
हृदय की तरंग
मन मस्तिष्क निहित एक सुंदर भाव
बहुत ही खूबसूरत, बहुत ही सुंदर
साफ़, स्वच्छ, निर्मल, कोमल
नीला आसमां, विशालकाय पर्वत माला
पक्षियों का गुंजन, जलपरियों का दुर्लभ संसार
नदियां जलतरंग, घने जंगल
हरभरे बागान, लहलहाते खेत
रेत के आगोश में डूबा रेगिस्तान
बर्फ़ की चादर से ढकी श्रृंखलाएं
मनभावन प्रकृति का सुंदर नज़ारा
बादल, सूर्य, वर्षा, इंद्रधनुषी रंग
टिमटिमाते सितारे, ठंडक से परिपूर्ण चंद्रमा
अंतहीन संसार, अंतर्निहित प्रतिध्वनियां
गुंजायमान असीम शांति की ओर
मौन मौन मौन
ॐ का नाद
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सबसे बड़ा सवाल :- लोग क्या कहेंगे
कोई कुछ कहेगा तो नहीं
या फिर समाज जीने नहीं देगा
कभी समाज के तौर तरीके
हर बात में समाज का डर
कुछ ऐसे ही समाज के मायने मिलते देखने को
आखिर क्या है परिभाषा समाज की
.....
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कितनी अनोखी है रंगों की दुनिया
कभी पीला रंग रोशनी की सुंदर दुनिया से पोषित करता है
तो कभी लाल रंग जिंदगी में प्रेम की लालिमा ले आता है
कभी नीला रंग शीतलता और स्थिरता से परिपूर्ण करता है
कभी सफेद रंग जीवन में शांति आनंद व पवित्रता का स्वागत करता है
कभी हरा रंग हरियाली की महक से चहुं और ताज़गी भर देता है
नारंगी रंग बहादुरी के अहसास से सभी में जोश भर देता है
गुलाबी रंग चंचलता के माहौल को खुशनुमा बना देता है
बैंगनी रंग महफिल में जादू की रहस्यमई छड़ी लगा देता है
सभी रंगों की फुहार एक साथ मिल
होली के उत्सव में चार चांद लगाते हैं
कभी मीठी मीठी गुजिया मिठास घोलती है
पानी की बौछार और हंसी ठिठोली माहौल को खुशनुमा कर जाती हैं
रंगों में लिपटा यह फागुन त्यौहार बहुत ही खास बहुत ही सुंदर
जहां सब एक हो, समरसता के सागर में डूबे हैं
गिले शिकवे सब दूर हो, हर ओर बस प्रेम व अपनापन-
शब्दों की सुंदर बहार
अक्षर-मात्राओं का उद्गम हुआ
स्वर-व्यंजन ने अपना स्थान लिया
वर्णों का अवतरण हुआ
शब्दावली का निर्माण किया
शब्दों का संसार बना
व्याकरण ने भी अपना स्थान लिया
शब्द-व्याकरण की तारतम्यता से वाक्य का नव सृजन हुआ
शब्दों की इस बहार से उद्धृत हुए
कवि, लेखक, अध्येता, भाषा वैज्ञानिक अनेकों अनेक
रच डाला कविता, दोहा, चौपाई, कथा,कहानी, उपन्यास, पद्य-गद्य ने जन्म लिया
स्वरूप में आई अनगिनत बोलियां और भाषाएं
लेखन-वाचन की कला से पूजित
सांकेतिक भाषा से निर्मित
भावों-विचारों के आवागमन का सिलसिला शुरू हुआ
विभिन्न भावनाओं का प्रकटीकरण हुआ
जिसमें साथी बनी सम्पूर्ण वाक् इंद्रिय
मन-मस्तिष्क से जागृत चिंतन व मन:भाव-
अनुभूति-एहसास--अनुभव
मात्र शब्द नहीं हैं
छिपाए हैं बहुत सी गहराइयां
मानव मन के कोने में छिपे, कोमल भाव
मस्तिष्क के गूढ़ विचार
सम्पूर्ण जीवन की घटनाएं
शांत चित्त और मौन मुद्राएं
हृदय की शांत व आनंदमई अवस्था
बाह्य व अंदरूनी हलचल
विश्लेषण और निरूपण
बौद्धिक तर्क-वितर्क
खट्टी मीठी यादें और संवेदनाएं
अंतर्मन के द्वंद्व और विडम्बनाएं
जहां प्रेम भी है, वेदनाएं भी हैं
क्रोध और भय भी है
बहुत ही सूक्ष्म, जिसके परे बस शून्य है
न आदि है, न अंत है
जो वर्णित नहीं, कथित नहीं
दृष्टित नहीं, श्रवित नहीं
महज़ अनुभूति-एहसास-अनुभव-
एक छोटा सा नन्हा सा फूल खिला
कोमल रुई सा बदन लिए
जिसकी छोटी छोटी आंखें अभी बंद हैं
खोया है किसी दुनिया में
पापा ने हाथों में लेकर सहलाया
मानो पूरे संसार की खुशियां मिल गई हों
मां ने सीने से लगाया
मानों......-
वो बचपना
वो जिद्द भरे दिन
वो छोटी सी बात पर रो पड़ना
और छोटी सी खुशी पर खिलखिला देना
वो मां पापा की अंगुली पकड़े चलना
और बड़ों की गोद में बैठना
वो.....-