Anshul Saxena   (अंशुल #BeSamyak)
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Joined 1 June 2021


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5 OCT AT 18:16

सीखना बहुत है मुझे, अभी ज़िंदगी के तजुर्बों से,
दोस्त भी सीखा रहे हैं, हुनर ए नज़रंदाज़ीं हर लम्हा।

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27 SEP AT 10:29

शहर बदले, मायने बदले, ज़िंदगी तब भी चल रही थी,
बदल हुआ ज़िंदगी में फ़क़त एक दोस्त के जाने के बाद।

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27 SEP AT 9:54

तुझसे खुल कर बात करना बंद हुआ, ये मेरी अना नहीं,
बस मेरे कहने या चुप रहने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता तुझको।

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26 SEP AT 22:25

बहुत शोर है इस खामोशी में यहां,
न कुछ सूझता है, न सुनाई दे रहा,
बस सुनाई दे रही हैं तेज धड़कनें,
कि अब सांसें पूरी करनी हों बस।

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21 SEP AT 0:17

The way I live today,
The way today I smile,
The way I think today,
The way today I fight.

Nothing seems good,
And nothing seems right.

The path I had taken,
The path I left behind,
The path I am walking,
The path I might grind.

Nothing seems wrong,
And nothing seems bright.

Howsoever dark, the bad is my destiny,
I accept with grace, I no longer want to fight.

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4 SEP AT 23:41

दूरी बना लोगे, बना लो,
आज ही हो लो तल्ख तुम,
सोच कर कि ताल्लुकात खत्म।

ये नूर, तेरी रूह तलक बसा है, मेरी मुहब्बत का,
अब तो रूह निकलने से होगी दूरी तेरे मेरे बीच।

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30 AUG AT 15:18

होता तो होगा कोई ज़िक्र मेरा भी, तेरी महफिल में,
कि तुझसे मुहब्बत मेरी भी कोई कम नहीं।

न हुआ तो भी क्या, मुहब्बत मेरी न कभी कम होगी।

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28 AUG AT 20:21

खामोशी भरा वो लम्हा धीरे से, ढुलका दिया मैंने संग अश्कों के,
कहीं कोई सुन न ले उस लम्हें की, गहरी खामोशी में चीख मेरी।

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10 JUL AT 20:22

गुरु मंत्र सीखा गुरुओं से,
गुरु नहीं अभिमानी,
गुरु वही जो संपूर्ण समर्पित,
गढ़े नव व्यक्तित्व स्वाभिमानी।
चरण वन्दन मेरे गुरुओं को,
कोटि नमन आभार सहित।
मम व्यक्तित्व, मम सिद्धि,
सभी में आपकी दीक्षा निहित।

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9 JUL AT 20:41

मेरे हबीब, तू नहीं मानता मुझे कुछ, ना सही,
मैने तुझे माना है, मेरा सब, और कोई शिकवा नहीं।
तेरी ज़िंदगी के किसी किस्से में, शायद ज़िक्र हो मेरा,
मेरी ज़िंदगी में, तेरे ज़िक्र के सिवा, कोई किस्सा नहीं।।

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