“मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ”-
💪स्वय... read more
जन्मदिवस
जन्मदिवस पर प्यार सभी का
फिर से मिला इक बार सभी का
फिर बारी बारी यार सभी का
हृदयतल से आभार सभी का।।-
"वो कागज़ और मैं, कलम सा लगता हूँ,
उसे मिलने के बहाने, रोज लिखता हूँ,
स्याह मोह्हबत का,कागज़ चुम लेता है,
कोई गज़ल फिर, उसके नाम कर देता हूँ l"❤❤-
लौट आयेंगी खुशियाँ, अभी गमों का शोर है
संभलकर रहो यारो ये इम्तिहानों का दौर है।
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किनारे आँखों के रह रह कर भर जाते हैं ,
सब लम्हे मेरे तुम बिन ही गुज़र जाते हैं !!
टूटा नहीं हूँ मैं रूठा नहीं हूँ मैं!!!
दबे आंसुओं में भीगा नरम नरम सा मन
और जरा सा प्यार लिए बैठा हूँ !!
जिम्मेदारियों की धुंधली छाँव में
तुम देख नहीं पाती अक्सर मुझ को!!
मैं बस तुम्हारा इंतज़ार लिए बैठा हूँ !!-
किनारे आँखों के रह रह कर भर जाते हैं ,
सब लम्हे मेरे तुम बिन ही गुज़र जाते हैं !!
टूटा नहीं हूँ मैं रूठा नहीं हूँ मैं!!!
दबे आंसुओं में भीगा नरम नरम सा मन
और जरा सा प्यार लिए बैठा हूँ !!
जिम्मेदारियों की धुंधली छाँव में
तुम देख नहीं पाती अक्सर मुझ को!!
मैं बस तुम्हारा इंतज़ार लिए बैठा हूँ !!
जय प्रकाश पाठक-
Wish you and your family
a very happy jayful healthy
prosperous new year ahead. !
HAPPY NEW 🆕. YEAR
जे पी पाठक-
*दोस्ती* ही असली धन है,
मेरे सभी सोने के सिक्कों को
*! धनतेरस की शुभकामनाएं !*🙏🏻-
कोई मसला है तो बातचीत क्यों नहीं करता।
उलझे मुद्दों पर समझाइश क्यों नहीं करता।
दुनिया भर की शिकायतें है तुझे मुझसे,
एक-दो शिकायत खुद से क्यों नहीं करता।
दो कदम तुम चलो दो हम चलते हैं,
तू रिश्ते में दूरियां कम क्यों नहीं करता।
जो मिलना ही है कयामत की रात हमें,
तू सब्र से कयामत का इंतजार क्यों नहीं करता।
बात बात पर झगड़ता है दुनिया से,
तू दुनियां की पसंद का काम क्यों नहीं करता।-
“हो काल गति से परे चिरंतन, अभी यहाँ थे अभी यहीं हो,
कभी धरा पर, कभी गगन में, कभी कहाँ थे,कभी कहीं हो,
तुम्हारी राधा को भान है तुम,सकल चराचर में हो समाये,
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो..!”
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