अल्हदा अंदाज़ से लेकर तीक्ष्णता तक है मिजाज़ में,
अब क्या ही बताएं कि क्या कुछ है प्रयागराज में !!-
संगम तट से निकले जबसे, देख ली दुनिया आधी है..
मि... read more
रुबरु जो तुझसे हो कर के
मैंने इश्क़ में जीना सीखा था,
तेरी फितरत बदली ऐसे फ़िर
दिल फूँक तमाशा देखा था,
मेरी तुझपे फ़ना मोहब्बत ने
पाया तुझसे बस धोखा था,
कोशिश तो करती सच कहने की
फिर जाती, किसने रोका था,
अब तो इंतकाम ऐसा होगा
ना कभी हुआ जैसा होगा,
अफ़सोस के बादल छाएंगे
आंसू ना रुकने आएंगे,
तब जो होगा फिर वो तो होना ही है
एक दिन तो तुझको रोना ही है,
जब वक्त ये करवट लेता है
तब अक्सर ऐसा है होता,
उस दिन जो तू कहती फिरेगी फिर
ऐ काश! ये आज सोच लिया होता।-
कर दिल की अनगिनत गुज़ारिश अनसुन, तू गई जो इसको तोड़ के,
अब मुश्किल है इसका संभल पाना, कर लीं लाख कोशिशें जोड़ के..
बिखरा हूॅं उस पल से बेहिसाब, जिस पल तू गई है मुॅंह मोड़ के,
ज़िंदगी वहीं पे पूरी थम गई मेरी, तू गई जहाॅं इसे छोड़ के !!-
मिलने पे ख़ुदा से, मेरा बस एक यही रहेगा सवाल,
कि ऐसी कौन सी जन्नत हो रही थी अता उस शहर की गलियों में बेमिसाल..
जो हार के खुद को भी बेफ़िक्र बिना किसी ख़्याल,
उन्हें कभी रोक ना पाया खुद को छोड़ जाने से मेरा दिल-ए-बेहाल !!-
No matter the poker face, life would eventually call your bluff,
Once you've lived in Delhi, just no other city is good enough.-
जिस क़दर, कद्र है मुझे उनकी हर एक बात की,
चाहे सुबह-ओ-शाम ही क्या होती..
जो उस क़दर, कद्र होती उन्हें मेरी एक आधी बात की भी,
तो फिर आख़िर बात ही क्या होती !!-
असंख्य सवालों से जो ये घेरे है समाज,
किसको क्या बताऊं कि मुझको ये क्या हो सा गया है..
तेरे पास रहने से जो एक रहता था सुकून,
वो जाने आज कल कहाॅं खो सा गया है..
बदरा-ऐ-हिज़्र के इस अंधियारे साए में,
ज़र्रा-ज़र्रा भी यहाँ ज़रा रो सा गया है..
मुकद्दर पे अपने जो दिल को था कभी ऐतबार,
वो मुकद्दर भी लगता अब कहीं सो सा गया है..
किसको क्या बताऊं अब कि मुझको ये क्या हो सा गया है !!-
कहाँ मिल पाता है सबको इश्क़ इस जहां में,
किसी को मिलता है तो उसकी क़दर नहीं होती
किसी को मिलता है तो उसकी ख़बर नहीं होती..
वो शायद होंगे मस़रूफ इस कदर वहाॅं पे,
कि दिल को उनके मेरी बातों की कोई कसर नहीं होती
लगता है काश कि अहमियत मेरी उनके दिल में सिफ़र नहीं होती..
अपने दिल-ए-नादां को अब क्या ही समझा लूॅं यहाँ पे,
जिसकी रातों में बिना उनके नींद-ए-नज़र नहीं होती
और उनके ख्यालों में डूबे बिना सहर नहीं होती !!-
She had the world to her
But for him she meant the world,
Cloudy vision, eyes were blur
Heaps of thoughts twirled.
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बादल-ऐ-ख़लिश के साये में जो ये ज़िंदगी घिर रही है अब,
ना कोई किरण ना आस है, देख चुका ये दिल आज़मा के सब !!-