बेशक, अकेले खड़े रहना!मगर ,कद और नज़रियाहमेशा ऊँचा रखना। -
बेशक, अकेले खड़े रहना!मगर ,कद और नज़रियाहमेशा ऊँचा रखना।
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हमने जिसके लिए सबको दरकिनार कर दिया,वो हमें ही किनारे लगा आया -
हमने जिसके लिए सबको दरकिनार कर दिया,वो हमें ही किनारे लगा आया
उम्मीद-ए-अर्श तोड़कर कहते हैं ये ज़माने वाले,बड़ा चुभते हैं ये ख्वाहिश -ए- फर्श पर रहने वाले,ज़िन्दगी की कशमकश भी देखो क्या खूब है जाना,मंजिल पा कर भी भटकते हैं ये संघर्ष में रहने वाले। -
उम्मीद-ए-अर्श तोड़कर कहते हैं ये ज़माने वाले,बड़ा चुभते हैं ये ख्वाहिश -ए- फर्श पर रहने वाले,ज़िन्दगी की कशमकश भी देखो क्या खूब है जाना,मंजिल पा कर भी भटकते हैं ये संघर्ष में रहने वाले।
सपने अधूरे रह जाएं तो इंसान पूरा होकर भी ज़िंदा नहीं रह पाता। -
सपने अधूरे रह जाएं तो इंसान पूरा होकर भी ज़िंदा नहीं रह पाता।
महज़ सार पढ़ कर पात्र का पता नहीं लगाया जा सकता,उसके लिए कहानी कोआखिरी पन्ने तक पढ़ना चाहिए। -
महज़ सार पढ़ कर पात्र का पता नहीं लगाया जा सकता,उसके लिए कहानी कोआखिरी पन्ने तक पढ़ना चाहिए।
इसलिए भी बांधती है राखी बहने की भाईउसके सपनों के साथ साथ अपनेसपनों की भी रक्षा करे। -
इसलिए भी बांधती है राखी बहने की भाईउसके सपनों के साथ साथ अपनेसपनों की भी रक्षा करे।
इंसान कितने भी बड़े महाविद्यालय या कितने भी बड़े महागुरु से शिक्षा ले, सीखेगा वही जो उसके अनुकूल होगा। -
इंसान कितने भी बड़े महाविद्यालय या कितने भी बड़े महागुरु से शिक्षा ले, सीखेगा वही जो उसके अनुकूल होगा।
मध्यम वर्ग की ज़रूरतें तो पूरी हो जाती है, इच्छाओं और सपनों पर समाज के "चार लोग क्या कहेंगे" का तागा (tag) लग जाता है, और ये चार लोग अक्सर अपनों में ही पाए जाते हैं। -
मध्यम वर्ग की ज़रूरतें तो पूरी हो जाती है, इच्छाओं और सपनों पर समाज के "चार लोग क्या कहेंगे" का तागा (tag) लग जाता है, और ये चार लोग अक्सर अपनों में ही पाए जाते हैं।
कतरा कतराघोल गया ज़हर का, वो प्यार करने वालाअरे! इंसान ही तो है, नफ़रत में ही मर जाएगा। -
कतरा कतराघोल गया ज़हर का, वो प्यार करने वालाअरे! इंसान ही तो है, नफ़रत में ही मर जाएगा।
धर्म की आड़ में कभी भी कोई बुरा काम नहीं होता!और सबसे बुरा है, धर्म आस्था को मोहरा बना कर समाज में जन्मी कुरीतियों को बढ़ावा देना। -
धर्म की आड़ में कभी भी कोई बुरा काम नहीं होता!और सबसे बुरा है, धर्म आस्था को मोहरा बना कर समाज में जन्मी कुरीतियों को बढ़ावा देना।