Anshu Raghav   (अंजली ✍️)
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Joined 14 February 2020


Joined 14 February 2020
7 HOURS AGO

Sad Reality Of Private Hospitals 💔

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7 HOURS AGO

कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते....⭐
पर होते हैं इतने अनमोल की...
आजीवन इन्हें मन की तिजोरी में.
सहेजने का मन करता हैं....❣️❣️

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13 HOURS AGO

दोस्त
एक दिन हम जुदा हो जायेंगे
ना जाने कहाँ खो जायेंगे
तुम लाख पुकारोगे हमको पर
लौट कर हम ना आयेंगे।
थक हार के दिन के कामों से
जब रात को सोने जाओगे।
जब देखोगे अपने फोन को
पैगाम मेरा ना पाओगे।
तब याद तुम्हें हम आयेंगे पर
लौट के ना आ पायेंगे ।
इक रोज ये रिश्ता छूटेगा
फिर कोई न हम से रूठेगा।
पर हम ना आँखें खोलेंगे
तुम से कभी ना बोलेंगे ।
आखिर उस दिन तुम रो दोगे
ऐ दोस्त मुझे तुम खो दोगे

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21 HOURS AGO

एक सवाल?
पति से पहले स्त्री मरे तो स्त्री सौभाग्यशाली...
और स्त्री से पहले पति मरे तो स्त्री अभागिन...
ऐसा क्यूँ ?
जबकि मौत तो एक स्त्री की ही होती हैं...
फिर क्यूँ ?

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22 HOURS AGO

कभी कभी कुछ बड़ा गहरा सा लिखने का मन करता है...
कुछ ऐसे शब्द जो बता सकें कि मन कितना ऊब चुका है
ज़िंदगी के मेलों से, लोगो के खेलों से.,
खुद के ही बदलते भावो से.
कुछ ऐसे शब्द जो बता सकें,कितनी बेसब्री मची है सबसे
अजनबी हो जाने की..!!
कुछ ऐसे शब्द जो समझा सकें अंतर्द्वंद,
कुछ ऐसे शब्द जो बोल जाये
वो सब जो भीतर चल रहा है..!
कुछ ऐसे शब्द जो बचा ले .मुझे जीवन भर की उलझनों से..
सबसे दूर जाना ही बेहतर है मेरा
क्योंकि मैं नहीं चाहती मेरी उपस्थिति किसी को दुख दे इसलिए
कुछ ऐसे शब्द जो कहे कि.किसी को ज़रुरत नही है अभी मेरी !!
मेरी अच्छाई, मेरी बुराई और हां
मेरे अंदर फैली नकारात्मकता,
मेरी ग़लतियों को भी..अब मै इन्हीं के साथ जिंदा हूं..


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YESTERDAY AT 1:08

रुतबा रियासत और जायदाद का नहीं...
स्वाभिमान और जमीर का होना चाहिए...
वरना इंसान जीते जी मरे हुए के समान है....

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YESTERDAY AT 1:03

....

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4 MAY AT 21:43

Singal mother होना कोई पाप नहीं होता है।
अनुशीर्षक 👇

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4 MAY AT 20:05

हम अपनी नजरों में अच्छे हों या बुरे जीवन में कुछ ऐसे पल आते हैं,जबहम कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो हमारे दिल ने कभी सोचा भी नहीं होता है, दिल बार बार समझाता रहता है कि कुछ ऐसा होने जा रहा है जो हमें नहीं करना चाहिए परन्तु दिमाग के अनिश्चितता का आवेग इतना तीव्र होता है कि उसे देखने , जानने,समझने की इच्छा कोई ऐसा कदम उठबा लेती है ,जिसे हम जीवन भर उस क्षण को कोसते रहते हैं।

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4 MAY AT 19:58

स्त्री को डरना और लज्जालु होना इसी पुरुष प्रधान समाज ने सिखाया है , क्योंकि स्त्री के भयभीत होने पर पुरुषों को उसपर अधिकार जताने में सुविधा होती है, इसलिए ही डर और लज्जा एक स्त्री का आभूषण कहा गया है।

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