Anshu Nain   (Anshu Nain)
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Joined 23 September 2020


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Joined 23 September 2020
25 APR 2021 AT 22:44

अतीत की खिड़कियां ...
क्या तुम्हारे दिल के चौबारे में
भी खुलती हैं?

या फिर मैं ही पागल निकली??

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23 APR 2021 AT 22:54

मेरी डायरी में रखे उस गुलाब से!

कमबख्त को..
अब भी भरोसा है तेरे झूठ पर!!


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17 MAR 2021 AT 18:53

हो मज़ार पर!!


क्या ख्वाब तुम्हारे भी ..
रुखसत हो गए हैं,
इश्क के बाजार में ?

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15 MAR 2021 AT 11:54

तेरे जाने से बहुत कुछ बिखर सा गया ।
पर इत्तेफाक...

"कितना कुछ संवर गया"!!

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26 JAN 2021 AT 21:41

!!!!!

बस यही सोच बर्बाद कर गई!!

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24 JAN 2021 AT 20:46

तेरी बेस्वाद यादों से।
पर आंखें भर आती हैं
तेरी बेवफाई की सिहरन से!

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23 JAN 2021 AT 17:53

कि सुलग रही हूं मैं..
पर आज जब तेरी यादों को कांधा दिया..
तो भरोसा हो गया...
कि कब्रिस्तान ही हो गई हूं मैं !!

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19 JAN 2021 AT 20:31

मेरे सच का..

गर तुझसे इश्क ना होता,
तो यकीनन तेरे अस्तित्व की दीवार भी..
तेरी तस्वीर की तरह मिटा देती!

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18 JAN 2021 AT 23:41

??.

कुछ यूं अज़ीज़ थे तुम हमें...
कि आज भी तुम्हारे झूठे हिस्से ..
मेरी महफ़िल के किस्से हैं!

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17 JAN 2021 AT 21:17

क्या तू झूठ अब भी इतने ही सलीके से बोलता है?

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