ख़ुश बयानी के सलीक़े भी उछाले जायेंगे
कुछ कहेगा शेर कुछ मानी निकाले जाएंगे
हम तो वो तारीख़ हैं ज़हनों में रहना है जिसे
काग़ज़ी पुर्जे नहीं जो फाड़ डाले जाएंगे
जिस ज़मीं पर मैं खड़ा हूं वो मेरी पहचान है
आप आंधी हैं तो क्या मुझको उड़ा ले जाएंगे
अब तो ये आदाब ए महफ़िल ही करेंगे फ़ैसला
तुम निकाले जाओगे या हम निकाले जाएंगे
आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए
वरना भी एक दिन कहानी से निकाले जाएंगे !!-
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सच कहता हूं कि तुम न होकर भी हर रोज मुझे याद आओगी ।
किसी से कह तो नहीं पाऊंगा पर अक्सर रातों को मेरे नींदों में झलक जाओगी ।।
कि न होकर भी याद रखेगी दुनिया ये मेरी कहानी । जिसमें हो के किसी गैर के तुम दिल में हमेशा मेरे जिंदा रह जाओगी ।।
जिस्म तुम्हारा भले किसी और का हो जाएगा । पर यकीनन बदनाम तो तुम मेरे प्यार में ही कहलाओगी ।।
और हां हक दिखाकर हर बात को मना लेना जिद में वास्ता दुनिया का देकर ।
मुझसे जिस्म को जुदा कर दोगी पर जरा ये बताओगी ।।
तुम्हारे रूह पर जो हमने खुशबू बिखरी है ।
उस खुशबू को कैसे मिटा पाओगी ।।-
“दर्द की रातें भरी हैं, ख्वाबों का सफर अधूरा है,
तन्हाई में चुपके से, दिल की बातें खुद से करता हूँ।
खोया हुआ हूँ मैं, तेरी यादों की गहराई में,
अपने ही दिल की धड़कनों की धुन में तुझको ढूंढता हूँ।”-
जिंदगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है,
ना तो किसी को गम चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए,
सच है ख्वाहिशें न हों तो जिंदगी कितनी आसान होगी।-
बदन शीशे का लेकर पत्थरों के साथ बैठे हैं ,
उन्हें क्या बताएं कि किसी उलझन के साथ बैठे हैं !
यह गुजारिश है कि यह महफिल थोड़ी देर और चलने दो ,
बड़े दिनों के बाद दिलजलों के साथ बैठे हैं !!-
वो नाराज़ हैं हमसे कि
हम कुछ लिखते नहीं;
कहाँ से लायें लफ्ज़
जब हम को मिलते ही नहीं;
दर्द की जुबान होती
तो बता देते शायद;
वो ज़ख्म कैसे दिखायें
जो दिखते ही नहीं।-
प्रकृति की गोद में प्रेम का संचार सजा हो
सुख और समृद्धि से हर घर का आंगन सजा हो
हे छठी मइया, सबका जीवन यूँ ही महकता रहे
प्रेम और भक्ति का पर्व यूँ ही चमकता रहे
भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व छठ पूजा हम सभी पूर्वांचलवासियों के लिए एक वृहद उत्सव है। लोक आस्था और भक्ति के इस पावन पर्व के लिए हम सभी बहुत उत्सुक होते हैं।
छठी मइया सभी का कल्याण करें।
जय छठी मइया 🙏🏻-
जो ठीक लगे वही देना प्रभु... हमारा क्या है,
हम तो कुछ भी मांग लेते हैं...!!-
वापिस ले आया डाकिया खत मेरा,
बोला पता सही था लेकिन लोग बदल गए थे ।।-
समझाता रहा उम्र भर ख़ुद को,
कि मान ले वो अपना है।
पर...किसे मालूम था भला?
अपना बनाकर ही लोग पराया करते हैं!
©अंशु...✍️-