Anshu Jangid   (अंशु जांगिड़)
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Joined 28 January 2021


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16 JUN AT 9:34

तो देखना जो खोया हुआ है .....
वह पा चुका है ।
ये कहने में भी वो असमर्थ ही है ।


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9 JUN AT 9:35

खामोशी कहता हूं,खामोशी सुनता हूं
खामोशी लिखता हूं ,खामोशी पढ़ता हूं।
इस कदर खामोश रहता हूं मैं आजकल ।

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2 JUN AT 22:55

शिव की क्रियान्विति ही शक्ति है।
जो कुछ भी क्रियान्वित हो रहा है ।
क्या वो सरल कर रहा है या जटिल?
या जटिल करके सरल कर रहा है....

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30 MAY AT 22:50

अव्यक्त .....




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23 MAY AT 9:52

उपजा कंवल हिय प्रेम का,करि करि जतन छिपाय ।
प्रभु मिलन की आस में ,अंसुअन नीर बहाय ।

ज्यों ज्यों सींचे त्यों बढे ,बेल प्रीत की आप ।
बढ़ जाए आकाश भर ,छिपे ना जग सुं छिपाय।

फल फूले ज्यों बेलरी, घनी घनी नित होय।
छांव बैठ फिर पथिक घने ,हरस हरस हिय होय ।
अंशु जांगिड़

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20 MAY AT 18:57

इच्छा शक्ति...
ज्ञान शक्ति...
क्रिया शक्ति....


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18 MAY AT 7:01

कैवल्य प्रदायिनी

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13 MAY AT 22:40

मैं अब नहीं हूं ,
दूसरी दुनिया में मिलने का ,
ख्वाब भी नहीं कोई ....
इस विष को ,
विषधर कंठ सजाएंगे अब।
विष इसलिए कहा खुद को ...
कि ,अमृत को कहां शिव मिलते हैं ।
अंशु जांगिड़

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12 MAY AT 9:38

अभिव्यक्ति मौन है ।



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22 APR AT 23:28

तुम पानी में प्रतिबिम्बित चंद्रमा नहीं ,
तुम नभ के चंद्रमा हो ....
चेतना दृष्टिगत रहे ।

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