मेरे मन का सबसे खूबसूरत अहसास
मेरे भाव जिसे देख शब्द बन जाते है
मेरे शब्द जिसे देख एक आकार पा जाते है
मेरे शब्दों की जीवंत देह
तुम © अंशु हर्ष
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ज़िन्दगी के सच से रु ब रु होने का हौसला है
तुम्हारे शब्दों में
इसीलिए तो इनका हाथ थाम
चलना चलना चाहता है ये मन
दूर बहुत दूर तक © अंशु हर्ष
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कब आओगे ?
कब आना है ...
इस विश्वास के साथ
कुछ मुलाकातें कभी नहीं होती ...© अंशु हर्ष
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तुम आवाज़ दो या ना दो मुझे
याद की एक खामोश दस्तक काफी है
मुझे तुम तक पहुचानें के लिए © अंशु हर्ष
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एक सफ़र है
अनजाना
हम सफ़र भी है
लेकिन बेगाना
मिले है रास्ते मे
तो कोई नियति होगी
इस साथ से कोई तो राह होगी
जो रोशन होगी © अंशु हर्ष
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इस बार अगर रुठ कर जाओ
तो इस जोखिम पर जाना कि
मैं नहीं आऊँगी तुम्हें मनाने ....© अंशु हर्ष
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हमारी जीत में उनका गर्व चमकता है,
हमारी हार में उनका धैर्य झलकता है।
Happy father's day-
पहले प्यार की नियति है अधूरा रह जाना
लेकिन पहले प्रेम की नियति है
व्यक्तित्व को एक पूर्णता दे जाना ©अंशु हर्ष
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सिर्फ मैं ही तुम्हें याद नहीं करती
तुम भी मुझे याद करते हो
अहसास हो जाता है मुझे
जब तुम दिल के दरवाजे पर
दस्तक दे जाते हो © अंशु हर्ष
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स्त्री और पुरुष का प्रेम
एक सा हो नहीं सकता
स्त्री नदी है और पुरुष समंदर
नदी निश्छल बहती हुई
और समंदर विस्तारित
एक तो हो सकते है
पर एक से हो नहीं सकते ..© अंशु हर्ष
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