Anshu Chaudhary   (Anshu Rahul Chaudhari)
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Smile for urself not fake happier for society.
Joined 3 October 2019


Smile for urself not fake happier for society.
Joined 3 October 2019
6 SEP 2024 AT 7:57

अर्धांगिनी बन कर आई जिस चौखट पर,
सुहागन बन इस दुनियां से विदा हो जाऊं,
मेरी हर सांस मांगे सलामती की दुआं,
हे शिवशक्ति मेरा सुहाग अमर हो जाऐ।।

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2 SEP 2024 AT 10:14

नज़रें ओझल नहीं हो पा रही है तेरे दर से मुसलसल,
मुमकिन तो नहीं मिलने की ख्वाहिश मुकम्मल हो जाए

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15 AUG 2024 AT 21:49

बन्द आंखों से उन पर ऐतबार किया था,
अपनों से ज्यादा अपना राजदार समझा था,
वो समझ न सके मेरे जज़्बात को,
जिन्हें खुद से भी ज्यादा प्यार किया था।।।

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14 AUG 2024 AT 21:12

पीड़ा देखना है तो हमारे हृदय में झांकिए,
हरकतों से तो हम आज भी बच्चे हैं।

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11 AUG 2024 AT 5:37

प्यार बुरे से भी बुरा हालात पैदा कर देता हैं,
ज़र्रा ज़र्रा तोड़कर भी मरने को मोहताज कर देता हैं।

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10 AUG 2024 AT 22:53

Some people are still important for us
with or without conversation.
They are always alive in our heart & mind...

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10 AUG 2024 AT 17:29

सारे गिले शिकवे मिटा कर लोगों से मिला करिए,
मौत शिकायत तक का मौका छीन लेती हैं।

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7 AUG 2024 AT 15:03

ख़ामोश है, गुमराह है,
गुमनाम सी है ख्वाहिशें मेरी,
मंजिल की चाह में,
मुसाफ़िर है तकदीरें मेरी,
गहरे सन्नाटे है दिन के उजालों में,
खूबसूरत ख्वाब बुनती हैं ऐ रातें मेरी,
बिखरते जज़्बात सिमट गये है यादों में,
किस्से बता रहे हैं अदावतें तेरी,
मेरे परवाज़ थम गये है आसमां में,
तुझमें ही कैद,तुझसे ही आजाद हैं चाहतें मेरी।।।

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28 JUL 2024 AT 22:59

इक सुलझी सी लड़की,
उसके बिखरे बालों में उलझ गईं,
हल्की सी दाड़ी,सलोना सा रंग,
उसके इक मुस्कुराहट पर मर गई।

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18 JUL 2024 AT 21:02

नूर सी चमक है आंखों में, जब-जब उसे मुस्कुराते देखा है।
है अल्हड़ सा लड़का, हर दर्द आंखों में छुपाते देखा है।
दुखों को दिल में दफनाए, ज़िम्मेदारियों को उठाते देखा है।
अरमां हजारों दिल में बसाए, फ़र्ज़ के खातिर ठुकराते देखा है।
गुम सा रहता है ख्यालों में, फिर भी मुस्कुराते देखा है।
लड़ता है घर के हालातों से, समाज से आंखें चुराते देखा है।
बेरोज़गारी का दर्द लिए, पत्थर सा शिला बनते देखा है।
पैसे नौकरी की चाह में, घर का मेहमां बनते देखा है।
फिर से मिलने की चाह में, मां -बाप से विदा लेते देखा है।
कभी धूप तो कभी छांव, दर-दर की ठोकरें खाते देखा है।
है अल्हड़ सा लड़का, हर दर्द को आंखों में छुपाते देखा है।

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