अंशिका   (Soul🖋Inked)
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Joined 19 June 2018


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Joined 19 June 2018
16 DEC 2021 AT 19:23

ना कर ऐतबार ओ बैरागी,
मैं रूह तक आ पाऊँ ना पाऊँ,
दुआ में उठी तेरी हथेली जो कभी,
तलब की ताबीर मैं देखना चाहूँ !!

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4 JUN 2021 AT 21:45

तुम्हें एक बात कहनी थी,
सूकून लिए तेरे दर पर ठहरे रहे,
जब दीदार भी ना मिला तुम से,
दिल-ए-दरार लिए लौट आए!!

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1 JUN 2021 AT 15:50

ज़िन्दगी पास तो आ,
कदमों से कदम तो मिला,
है अभी मेरा सफ़र जारी,
मुकद्दर को मंज़िल से गले लगा!!

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12 MAY 2021 AT 0:56

एक एक साँस का हिसाब रख,
खामोश आहों का खयाल रख,
मद्धिम हो रही आँच ज़िंदगी की,
लौ को फिर से जलाकर आबाद रख!!!

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8 NOV 2020 AT 0:43

ये तन्हा सफ़र हमने,
इस कदर तय किया,
के उनको खोजते खोजते,
मैंने खुद को पा लिया!!

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12 JAN 2019 AT 22:07

युवा होने का मतलब यही,
तत्वहीन आत्मा का निर्माण,
खुदी में परमात्मा का सम्मान!!

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28 APR 2021 AT 18:59

नन्हीं सी खुशी, कभी थपेडे लगाती,
माटी में मिलाकर हमें नया बनाती,
जिंदगी भी आजकल सियासत सिखाती!!!

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18 APR 2021 AT 0:50

एक रात की कैद थी,
बिना कुछ कहे ही,
लफ्ज़ों की कैफ़ियत थी,
लिखते क्या हम उनकी रुबाई में,
जो कोरे से पन्नों मे स्याही थी,
उन में साँसों की तन्हाई उतारी थी!!

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15 APR 2021 AT 15:40

तुम्हारा एक एक शब्द,
कभी मेरा जुर्म कभी जुनून,
मिले जो जख्म, कभी दर्द बनकर,
तो कभी प्यार बनकर रहा सूकून!!!

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14 APR 2021 AT 1:10

लब सिल गए,
जख्म रिसता रहा,
इल्ज़ाम किसे दें?
ये जो फ़ासला बढ़ता रहा!!

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