ANSHIKA TIWARI  
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Joined 15 January 2019


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Joined 15 January 2019
6 SEP AT 9:40

सरलता अब जटिल हो गई है
हृदय अब पत्थर बन चुके हैं
मोम अब पिघल नहीं रही
और दुनिया जलती जा रही है।
तुम्हारी सोच के आधार पर दुनिया का उद्धार होगा नहीं,
तुम्हारी उम्र को तुम्हारी खुशियों का इंतजार होगा नहीं।
इतनी सहजता नहीं की नदियां बहती रहेगीं सागर के तलाश में,
ये भी नहीं कि वो मिल ही जाए बैठे हो जिसकी आस में।
और ना ही एक दिन वह सब हो जाएगा जो तुम चाहते हो!
सच कहूं तो इतना भी अटल विश्वास नहीं है,
सबको सब मिल गया हो,ऐसा कोई इतिहास नहीं है।

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3 SEP AT 10:01

कांटों को पकड़ रहे हो जो तुम इतनी तरबीयत से,
तुम तो कहते थे फराज तुम्हें फूल पसंद आते हैं!?

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1 AUG AT 21:30

पहले पूछा,टटोला,देखा;फिर कुरेदा घाव मन भर,
रगड़ा नमक जैसे कोई,घिसती है चप्पल जमीं पर!
तब भी हमें खुलकर कभी,रोने की इजाज़त न मिली।
खुश रहने का जालिम,इतना दबाव था हम पर।।

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30 JUL AT 19:54

विचारधाराओं के प्रवाह में,मैं मौन हो जाती हूँ,
आस पास के लोग गुंगे,
और खामोशी हृदय के कानो को सूकुन दे रही होती है।।

प्रयाग के गंगा तट पर अक्सर प्रेम ओर विरह का मिलन होता है।।

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28 JUL AT 20:39

मुझे आपको अपना मानना,था ही नहीं!
पर हृदय मूढ़ अपनी हद पहचानता ही नहीं!
इस तरह मैं बेवफाई के आलिंगन में रही आपके,
जैसे एक बधिरांध दुनिया को जानता ही नहीं।

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5 JUN AT 17:02

आखिर कब तक इंतजार करूँ तुम्हारा,तुम्हारी याद का "आखिरी बार" अब तक नहीं हो रहा!!

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23 MAR AT 10:51

अगर फैसला यही है तो यही सही!
अगर फासले रहने ही है तो यही सही!
खत्म कर रहीं हूँ इस साल दिल के सभी अफसानों को ,
नहीं है मेरे लकीर में इश्क़,तो यही सही !
दरवाजे पर कौन है?खट-खट-खट!
जिस व्यक्ति से आप मिलना चाहते हैं ,वो अब रही नहीं ।
क्या कहा देर हो गई पुछने में बातें?कोई बात नहीं
मगर अब जवाब है ,नहीं , तो नहीं,तो नहीं!!
मेरे जीवन का फलस़फा है ये,इश्क से बेदखल हूं मैं,
खैर अब बेदखल हूँ,तो बेदखल ही सही ,
मगर अब इश्क नहीं, तो नहीं, तो नहीं।।

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21 SEP 2024 AT 18:31

तुम्हारी जिस अच्छाई पर तुम्हें गुरूर रहेगा,
तैयार रहना, दुनिया उसी बात से तुमपर लांछन लगाएगी!!

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26 JUL 2024 AT 15:33

दो रेल की पटरिया एक दूसरे से मिलती नहीं,
मिलती है तो काट देती है,एक दूसरे के रास्ते!

हां,उसी इश्क़ के सफर में हूं, तुम्हारे साथ, मैं।।

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5 JUN 2024 AT 20:41

चुप है अगर तो रहने दो,जो बोला तो दहाड़ देगा,
अच्छे अच्छों का अच्छे से,अच्छा नकाब़ भी फाड़ देगा!

स्त्रीयां जानती हैं अपने मौन रहने का महत्व,वरना विध्वंश तो केवल उनकी वाणी से हो सकता है।

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