एक औरत को सबने समझाया कि आदमी के दिल का रास्ता, उसके पेट से होकर गुज़रता है...
पर आदमियों को क्यों नहीं बताया कि "औरत के दिल का रास्ता" कहां से होकर गुज़रता है...??-
👉 30th Dec 🎂
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एक कमरा भी उसका अपना नहीं...
और कहते हैं सब...
अब वो तुम्हारा "अपना घर" है..!!-
वो एक छोटी सी लड़की थी...
छोटे-छोटे दुःखों को "बड़ा" समझती थी..!!
अब वो लड़की बड़ी हो गई है...
हां, अब वो "बड़े दुःखों" को समझती है...!!-
जितना गहरा जाओगे, उतने मोती पाओगे,
एक गहरे समुद्र सी होती है "औरत"।
नित नई खूबियां, कोमल-हृदय की देवियां,
अंतर्मन के संघर्षों को पहचान ही ना पाओगे।।
मायके-ससुराल में से कोई घर "अपना" नहीं,
फिर भी दोनों घरों को संजोती है "औरत"।
बिन बताए सबकी उम्मीदों पर खरा उतरे वो,
पर तुम उनकी उम्मीदों को जान ही ना पाओगे।।
धरती को "मां" कहते हैं, क्यों कहते पिता नहीं,
मां के रूप में "सहनशीलता" की मूरत है "औरत"।
जितना प्रेम दोगे उसे, दुगुना प्रेम लुटाए वो,
उसके समर्पण को तुम तो आंक ही ना पाओगे।।
"औरत" को तुम समझ ही ना पाओगे,
जितना गहरा जाओगे, उतने मोती पाओगे।
जितना गहरा जाओगे, उतने मोती पाओगे।।-
कि मेरा चुप रहना ही ठीक होगा शायद अब...
कम से कम लफ़्ज़ों के जैसे, "ख़ामोशी" तो नहीं चुभेगी अब..!!-
चंद लम्हें पहले की ही तो बात थी फ़कत...
कि फिर से यकीं सा हुआ तेरे वजूद पर..!!
पर ग़लत तो फिर भी हम ही निकले ऐ खुदा...
जो अपने ही "यकीं पर यकीं" करते गए..!!-
सुनो ना...
ये जो जाने अनजाने ही बेवक्त और बेवजह
मेरे चेहरे पे मुस्कान के रूप में खुशी झलकती है ना...
उसकी असली वजह तुम ही हो...!!
और जब कोई अनहोनी या मुसीबत आने पर
एक सुकून और बेफ़िक्री चेहरे पे झलकती है ना...
उसकी असली वजह तुम ही हो...!!
कैसे कहूं कि कितनी मोहब्बत हो गई है अब तुमसे
कि हर पल मेरी रगों में जो रूमानियत झलकती है ना...
उसकी असली वजह तुम ही हो...!!
तुम्हारा आना और अब "तुम्हारा मेरे होने" से
गुरूर से जो आंखें ये मेरी चमकती है ना...
उसकी असली वजह तुम ही हो...!!
क्योंकि तुम ही हो, अब तुम ही हो...!!!-
सबकी खुशियों की परवाह करती है वो,
मेरी मां ना होकर मां जैसा बर्ताव करती है वो।
छोटे बड़े सबकी ख़्वाहिशों को पूरा कर,
खुद की ज़रूरतों से अंजान रहती है वो।।
अपनों के लिए सभी जिम्मेदारियां उठा कर,
बेटी होकर "बेटे" जैसी पहचान रखती है वो।
सबके लिए असीम प्रेम दिल में रख कर,
अपनों की भावनाओं का सम्मान करती है वो।।-
रिश्ता संभालने का हुनर दोनों में होना चाहिए...
एकतरफ़ा कोशिशें अक्सर नाकाम हो जाती हैं..!!-
हां, नहीं थे आप... हमारे कमज़ोर क्षणों में,
क्योंकि आप हमें मजबूत बनाना चाहते थे..!!
हां, नहीं थे आप... हर वक्त आजू-बाजू में,
क्योंकि आप हमें आत्म-निर्भर बनाना चाहते थे..!!
हां, नहीं थे आप... हर कदम हमारे साथ में,
क्योंकि आप हमें अपना ही सहारा बनाना चाहते थे..!!
हां, नहीं थे आप... हर लम्हें, हर पल में,
क्योंकि आप हमारे लिए ही कुछ करना चाहते थे..!!
मगर अब महसूस होती है ज़रूरत आपकी...
हर क्षण, हर कदम, हर लम्हें, हर पल में...
कि इक उम्मीद दिख जाए कोई रोशनी की...
कि मुलाकात हो आपसे, अब हर कल में...-